टैरिफ अथॉरिटी फॉर मेजर पोर्ट्स (टीएएमपी) की भूमिका में अच्छी खासी कमी आने के साथ ही बंदरगाहों की संपत्ति मुद्रीकरण योजना जोर पकड़ सकती है। निवेश के रिटर्न पर और अधिक स्पष्टता आने से इसमें मजबूत निजी भागीदारी देखने को मिल सकती है।
एक समुद्री शोध परामर्श कंपनी ड्रेवरी में महानिदेशक (बंदरगाह) शैलेश गर्ग ने कहा, ‘यह एक सही दिशा में उठाया गया कदम है। निजी पक्षों के पास दक्षता बढ़ाने और उत्पादकता में सुधार लाने के लिए जरूरी क्षमताएं होंगी। लेकिन उन्हें अपना कारोबार करने के लिए उपयुक्त कीमत माहौल दिए जाने से इस क्षेत्र में उनकी रुचि निश्चित तौर पर बढ़ेगी।’
बड़े बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम 2021 के तहत बंदरगाह के बोर्ड के पास बाजार की परिस्थितियों के मुताबिक अपने कीमत पैमाने को निर्धारित करने का अधिकार होगा जबकि पहले ऐसा नहीं था। पहले इसके लिए टीएएमपी से मंजूरी लेनी पड़ती थी। विभिन्न क्षेत्रों के लिए तैयार किए गए राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के तहत बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए 31 परियोजनाएं चिह्निïत की है ताकि मौजूदा संपत्तियों की क्षमता उपयोगिता में सुधार लाया जा सके। ये परियोजनाएं देश के 12 बंदरगाहों में से नौ बड़े बंदरगाहों पर फैली हैं।
इन परियोजनाओं पर वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 के बीच 14,483 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय किया जाएगा। इन 31 परियोजनाओं में से 13 पर 6,924 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय होने का अनुमान है। इनकी निविदा चालू वित्त वर्ष में जारी की जाएगी। इसके बाद 10 परियोजनाओं की बारी आएगी जिन पर 4,680 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय होने का अनुमान है। इनके लिए निविदा वित्त वर्ष 2023 में जारी की जाएगी।
मुंबई स्थित एक बंदरगाह परामर्शदाता ने कहा, ‘बाजार की मौजूदा परिस्थितियों और आर्थिक परिदृश्य के तहत सरकार के लिए अपने दम पर पूंजीगत व्यय कर पाना आसान नहीं रह गया था। ऐसे में निजी कंपनियों को निवेश के लिए कहने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं था।’
पारादीप, कांडला, मुंबई और वी. ओ. चिदंबरनार बंदरगाह में से प्रत्येक पर दो परियोजनाएं और जेएनपीटी, मोरमुगांव तथा विजाग में एक एक परियोजनाएं सहित अन्य परियोजनाएं उन 13 परियोजनाओं का हिस्सा हैं जिनके लिए चालू वित्त वर्ष में निविदा जारी की जाएगी। उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि देसी और विदेशी विशुद्घ बंदरगाह कंपनियों के अलावा औद्योगिक घराने भी आगामी बंदरगाहों की पूंजीगत व्यय योजनाओं में रुचि ले सकते हैं।
गर्ग ने कहा, ‘ऐसे कई औद्योगिक घराने हैं जो बंदरगाह पर कैप्टिव कार्गो का बेस रखने और उसके बाद इस सुविधा का उपयोग विभिन्न कार्गो के रख रखाव के लिए करने पर विचार कर सकते हैं।’ अदाणी पोर्ट्स, एस्सार पोर्ट्स और जेसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर (डोमेस्टिक) के साथ साथ एपीएम टर्मिनल्स और डीपी (इंटरनैशनल) कुछ ऐसी निजी कंपनियां हैं जो देश में बंदरगाह कारोबार में सक्रिय हैं।