राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना (एनएमपी) के तहत सरकार 6 लाख करोड़ रुपये की जिन संपत्तियों का मुद्रीकरण करने जा रही है, उनके मूल्यांकन के लिए 4 विधियों का इस्तेमाल किया गया है। नीति आयोग ने एनएमपी पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिन संपत्तियों की ब्लॉक वैल्यू 6 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है, यह सांकेतिक है और सीधी प्राप्तियों से या निजी क्षेत्र की ओर से निवेश के रूप में इतनी राशि आने की संभावना है।
आस्क हाऊइंडिया डॉट ओआरजी के सह संस्थापक और बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विशेषज्ञ मनीष अग्रवाल ने कहा कि यह मूल्यांकन निश्चित रूप से एक अनुमान है, ऐसे में आंकड़ों की यह सीमा प्राप्त करने के लिए विभिन्न तरीके अपनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि मूल्यांकन के विभिन्न तरीके विभिन्न अवधारणाओं पर निर्भर हैं जिनका इस्तेमाल कारोबार के मूल्यांकन में किया जाता है। नियमन के दायरे में आने वाला कारोबार, जहां पूंजीगत व्यय के आधार पर नियामक राजस्व तय करता है, ऐसे अनुमानों में अनिश्चितता कम होती है। अग्रवाल ने कहा कि वहीं अन्य कारोबार, जैसे बिजली उत्पादन क्षेत्र, का राजस्व ज्यादा अनिश्चित होता है और इसका कम अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह सबसे बेहतर तरीका होता है कि विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया जाए, जैसा कि सरकार ने सिर्फ अनुमान पेश किया है, लेकिन वास्तविक मूल्य सिर्फ प्रतिस्पर्धी बोली की प्रक्रिया से पता चल पाएगा।
बहरहाल अग्रवाल ने कहा कि इन मूल्यांकनों का इस्तेमाल बोली आमंत्रित करते समय आरक्षित मूल्य के रूप में नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए कि बोली आमंत्रित करने के वक्त बोली उस समय की बाजार परिस्थितियों पर निर्भर होगी। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि पूंजीगत व्यय का वित्तपोषण निजी क्षेत्र के निवेश से होगा और सांकेतिक मुद्रीकरण मूल्य 6 लाख करोड़ रुपये होगा। बहरहाल सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी मॉडल में अतिरिक्त राजस्व सरकार से या निजी निवेश से ऊपर कंसेसन शुल्क से भी आ सकता है। इसे 6 लाख करोड़ रुपये के सांकेतिक मूल्य में शामिल नहीं किया गया है।
एनएमपी में कुछ पुरानी संपत्ति वर्ग के मुद्रीकरण का भी प्रस्ताव है। इनका मुद्रीकरण परिचालन रखरखाव और विकास (ओएमडी) मॉडल से या जहां ज्यादा पूंजीगत व्यय हुआ है, वहां ‘संपत्ति में वृद्धि या पुनर्वास मॉडल’ लागू किया जाएगा। संपत्तियों के मूल्यांकन में जिन तरीकों का इस्तेमाल किया गया है, उनमें मार्केट अप्रोच, सड़कों और बिजली पारेषण संपत्तियों के मूल्यांकन का तरीका अपनाया गया है। इस विधि मेंं संपत्ति का सांकेतिक मूल्य बाजार में उस संपत्ति के लेन-देन के आधार पर किया गया है। प्राकृतिक गैस पाइपलाइन और प्रोडक्ट पाइपलाइन जैसी संपत्तियोंं में इंटरप्राइज वैल्यू मेथड अपनाया गया है। इस तरीके का इस्तेमाल ऐसी संपत्ति के लिए होता है, जहां राजस्व की स्थिति मौजूद है या अवधारणा के आधार पर इसे जाना जा सकता है। इन संपत्तियों के मूल्यांकन में सांकेतिक मुद्रीकरण मूल्य निर्धारित करने के लिए रियायती नकदी प्रवाह के शुद्ध मौजूदा मूल्य की गणना की गई है।
बिजली उत्पादन संपत्तियों के लिए बुक वैल्यू अप्रोच अपनाया गया है, क्योंकि तुलनात्मक बाजार लेनदेन सौदे या अनुमानिक पूंजीगत निवेश संबंधी सूचना इस क्षेत्र के लिए मौजूद नहीं है। आखिर में, हवाईअड्डों, रेलवे स्टेशनों, यात्री ट्रेनों, बंदरगाहों, खेल के स्टेडियमों, खदानों, शहरी आवास पुनर्विकास में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) के तरीके का पालन किया गया है। इस तरीके का इस्तेमाल ऐसी संपत्तियों के मुद्रीकरण में होता है, जहां इसका मुद्रीकरण सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी मॉडल पर हो सकता है। डीएसके लीगल के पार्टनर अंजन दासगुप्ता ने कहा कि राजस्व देने वाली संपत्तियों के मूल्यांकन में डिस्काउंटेड कैश फ्लो (डीसीएफ) का तरीका अपनाया जाता है, जिसमें संपत्ति के जीवन और राजस्व सृजन क्षमता के आधार पर मूल्य निकाला जाता है। अग्रवाल ने भी कहा कि डीसीएफ को सबसे उचित तरीका माना जाता है और इसमें ज्यादा वैज्ञानिक तरीके का इस्तेमाल होता है।