नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड के समूह परिचर्चा कार्यक्रम में कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में कम से कम 10.5 फीसदी की दर से आगे बढ़ेगी। हालांकि ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) की वृद्घि दर 9.5 फीसदी रह सकती है। कुमार ने जोर देकर कहा कि वित्त वर्ष 2023 और उससे आगे आर्थिक वृद्घि दर 8 फीसदी रहने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था पहले से ही अंग्रेजी के डब्ल्यू अक्षर की आकृति का सुधार हासिल कर चुकी है। डब्ल्यू आकृति का मतलब है कि अर्थव्यवस्था में दो बार गिरावट के बाद लगातार वृद्घि दर्ज करना।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा, ‘हम डब्ल्यू आकृति के सुधार के अंतिम चरण में है और यह ज्यादा टिकाऊ होगा… सभी संकेतक बताते हैं कि अर्थव्यवस्था में मजबूती आ रही है। यहां तक कि होटल जैसे कारोबार में भी तेजी देखी जा रही है। यह तेजी मार्च 2022 तक जारी रहेगी। इसलिए हमें मार्च 2022 से आगे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।’
मजबूत सुधार की संभावना का संकेत देते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में 9.5 फीसदी वृद्घि दर का अनुमान लगाया है। निजी निवेश में तेजी के आसार के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि इसमें तत्काल तेजी नहीं आएगी।
निजी पूंजीगत व्यय बढ़ाने के लिए बैंकों को केवल एएए रेटिंग पर ही ध्यान नहीं देना चाहिए। सरकार और निजी क्षेत्र के बीच भरोसा बढ़ाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है, साथ ही नियामकीय अनुपालन को भी आसान बनाया गया है।
नीति आयोग के राजीव कुमार ने कहा कि अगर हम सामान्य रूप से बढ़ते हैं और क्षमता उपयोग 70 से 80 के बीच रहता है तो निजी निवेश 2022 की तीसरी तिमाही या चौथी तिमाही में बढ़ेगा। यह हमारे लिए बहुत देरी होगी। हमें इसे पहले बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘हम निजी निवेश में पूर्ण सुधार की उम्मीद अगले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही तक कर सकते हैं।’
कुमार ने कहा कि पिछले 24 महीनों के दौरान संपत्ति मुद्रीकरण, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन, निजी भागीदारी मॉडल जैसे बहुत से सुधार किए गए हैं, जिनसे निजी निवेश में इजाफा होगा।
कुमार ने गिरावट के जोखिमों के बारे में बात करते हुए वैश्विक वृद्धि दर को लेकर आगाह किया, जिसमें नरमी शुरू हो गई है। उन्होंने कहा, ‘ऊर्जा सहित जिंसों के दाम बढ़ रहे हैं। ऐसे में हमें नहीं पता कि हम किस दिशा में जा रहे हैं और यह एक जोखिम है। चिप की दुनिया भर में किल्लत हमें परेशान कर रही है।’ उन्होंने कहा कि मेरे तर्क का सार यह है कि यह सातवां साल है और यह कोविड आपात की अवधि हमारे देश में सुधारों के लिए सबसे व्यस्त अवधि रही है।
उन्होंने सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर कहा कि नीति आयोग ने व्यय विभाग के साथ मिलकर 360 योजनाओं का मूल्यांकन किया है ताकि इन्हें उनके प्रदर्शन के नतीजों के आधार पर बजट आवंटित किया जा सके। उन्होंने कहा, ‘मुझे राज्य सरकारों से पिछले पखवाड़े में इस बारे में तीन पत्र मिले हैं कि वे आने वाले समय में अपनी निगरानी और मूल्यांकन अधिकारियों को मजबूत करना चाहते हैं।’
उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं, विशेष रूप से उच्च एवं मध्य वर्ग का आत्मविश्वास बढ़ रहा है, लेकिन हमें निचले वर्ग पर विचार करने की जरूरत है। उन्होंने उस राजकोषीय गुंजाइश को लेकर सवाल उठाया, जो हमें राजस्व संग्रह में तगड़ी वृद्धि से मिली है। इसमें कैसा संतुलन साधा जाएगा- राष्ट्रीय कर्ज (जो करीब 90 फीसदी है) को घटाया जाए या इसे उपभोग बढ़ाने में इस्तेमाल किया जाए, जिससे निजी निवेश चक्र को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
