आयकर विभाग को इस माह के अंत तक करीब 10,000 करोड़ रुपये के आयकर से जुड़े 35,000 से ज्यादा लंबित मामले तलाशी अभियान के बाद निपटाने होंगे। इन मामलों के लिए समयसीमा तय की गई है और अगले महीने उन्हें फिर से नहीं खोला जा सकता।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन जेबी महापात्र ने लंबित मामलों की संख्या बढऩे पर आयकर विभाग की जांच शाखा के शीर्ष अधिकारियों की खिंचाई की और उन्हें 30 सितंबर तक ऐसे लंबित मामलों की आकलन प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है। सूत्रों के अनुमान के अनुसार इन मामलों के निपटारे से करीब 10,000 करोड़ रुपये का कर जुटाया जा सकता है।
आयकर महानिदेशालय और मुख्य आयुक्तों को हाल में भेजे गए पत्र में सीबीडीटी प्रमुख ने कहा, ‘यह बड़ी चिंता की बात है कि केंद्रीय टीमें समयबद्घ आकलन प्रक्रिया से जुड़े मामलों का निपटारा करने में काफी पीछे हैं।’
लंबित मामलों का हवाला देते हुए महापात्र ने कहा कि पिछले हफ्ते तक आकलन अधिकारियों द्वारा केवल 1,749 मामलों में आदेश जारी किए गए, जबकि 10 सितंबर तककुल लंबित मामले 37,103 थे। कर अधिकारियों के पास अभी 35,276 मामले लंबित हैं और उनके निपटान के लिए केवल 15 दिन का समय बचा है।
आयकर की धारा 153ए (तलाशी के संबंध में) के तहत आयकर अधिकारियों को करदाता के 6 साल पुराने खातों की जांच करने की अनुमति है। कुछ मामलों में 10 साल तक पुराने आकलन की भी जांच की जा सकती है। बिजनेस स्टैंडर्ड ने सीबीडीटी चेयरमैन द्वारा भेजा गया पत्र देखा है।
पत्र में आगे कहा गया है कि केंद्रीय प्रभार (जांच, तलाशी आदि) की जिम्मेदारी है कि तलाशी अभियान के दौरान पता लगाई गई आय पर कर जमा कराए। अगर समयसीमा के अंदर ऐसे मामलों का निपटारा नहीं होता है तो तलाशी अभियान की सफलता बेकार हो जाएगी।
इन मामलों को निपटारा कर्मचारी कंप्यूटर की मदद के बजाय स्वयं कर रहे हैं और मामले की जटिलता को देखते हुए इसे फेसलेस आकलन योजना से बाहर रखा गया है। सीबीडीटी प्रमुख ने कर अधिकारियों को याद दिलाया कि इस महीने की शुरुआत में भी केंद्रीय टीमों को मामलों के निपटान में तेजी लाने के हरसंभव प्रयास करने की अपील की गई थी।
उन्होंने अधिकारियों को इन मामलों की प्रगति और आकलन पूरा करने की प्रक्रिया पर रोजाना नजर रखने का भी निर्देश दिया। साथ ही कहा कि सभी मामलों का निपटारा समयसीमा के अंदर सुनिश्चित किया जाए ताकि अंतिम समय में हड़बड़ी में मंजूरी न देनी पड़े।
महापात्र ने अधिकारियों से कहा कि सीबीडीटी को दैनिक आधार पर मामलों के निपटारे की रिपोर्ट दी जाए और स्थिति की रोजाना समीक्षा की जाए।
महामारी के कारण तलाशी और सर्वेक्षण सत्यापन का काम धीमा हो गया था। केवल ज्यादा राजस्व की संभावना वावले मामलों पर ही ध्यान दिया जा रहा था। अधिकारियों को इन मामलों का निपटारा 30 जून तक करना था लेकिन कोविड की वजह से इसे तीन महीने आगे बढ़ा दिया गया था।
