मधुमेह रोधी प्रमुख दवा एम्पाग्लिफ्लोजिन की कीमतें 90 फीसदी तक गिरकर 5.5 रुपये प्रति टैबलेट पर आ गई हैं। इसका कारण कई दवा कंपनियों का इस बोहिरिंजर इंगेलहेम (बीआई) दवा का जेनेरिक संस्करण पेश करना है। इस दवा का पेटेंट इस महीने के शुरू में खत्म हो गया था। उद्योग के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि इस कदम से भारत के मधुमेह रोगियों के लिए दवा ज्यादा सुलभ हो जाएगी और बाजार के वॉल्यूम में भी पांच से छह गुना इजाफा होगा।
दिल्ली की मैनकाइंड फार्मा ने एम्पाग्लिफ्लोजिन दवाओं की एक सीरीज उतारी है जिसमें इसके कॉम्बिनेशन भी शामिल हैं। इनकी कीमत 5.5 रुपये से 13.5 रुपये प्रति टैबलेट के बीच है। उसी दिन मुंबई की ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने एम्पाग्लिफ्लोजिन और इसके कॉम्बिनेशन के लिए 11 रुपये से 15 रुपये प्रति टैबलेट वाली दवा उतारी। एल्केम लैबोरेटरीज ने दवा का अपने जेनेरिक संस्करण पेश करने की घोषणा की है, जिसकी कीमत इनोवेटर ब्रांड की तुलना में करीब 80 फीसदी कम है। इनोवेटर ब्रांड की दवा जारडिएंस है जिसकी कीमत करीब 60 रुपये प्रति टेबलेट है।
भारत में 10 करोड़ से ज्यादा मधुमेह रोगी हैं और मधुमेह की दवाओं की मांग बढ़ रही है। भारत में 20,611 करोड़ रुपये का मधुमेह रोधी दवा बाजार सालाना 9 फीसदी या उससे ज्यादा की रफ्तार से बढ़ रहा है। मार्केट रिसर्च फर्म फार्मरैंक के अनुसार एम्पाग्लिफ्लोजिन के बाजार का आकार लगभग 758 करोड़ रुपये का है और इसकी 5 साल की सालाना चक्रवृद्धि रफ्तार 3 फीसदी है। इसलिए कि इसी वर्ग की एक और दवा (एसजीएलटी-2 अवरोधक) डेपाग्लिफ्लोजिन का पेटेंट 2020 के आसपास खत्म हो गया और जेनेरिक दवा आने के बाद यह सस्ती हो गई।