निवेश बैंकर और अधिकारी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का भारी भरकम आरंभिक सार्वजनिक निर्गम मौजूदा वित्त वर्ष में कामयाबी से पूरा करने के लिए जोर-शोर से जुटे हैं। साल खत्म होने में 60 दिन से भी कम बचे हैं और उन्हें काफी सख्त समयसारणी का पालन करना है। एलआईसी सेबी के पास विवरणिका का मसौदा (डीआरएचपी) इस महीने के आखिर तक जमा करा सकती है। इसके बाद बाजार नियामक फाइनल ऑब्जर्वेशन जारी करेगा ताकि कंपनी आईपीओ बाजार मेंं उतार सके। साल 2020 से सेबी की तरफ से फाइनल ऑब्जर्वेशन जारी करने में सबसे कम 30 दिन का समय लगा है, जो मिसेज वेक्टर्स फूड के मामले मेंं है और सेबी ने सरकारी स्वामित्व वाली रेलटेल कॉर्प के मामले में फाइनल ऑब्जर्वेशन जारी करने में 32 दिन का समय लिया था।
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ोंं के विश्लेषण से पता चलता है कि बाजार नियामक ने 1 जनवरी 2020 से अब तक 110 डीआरएचपी पर फाइनल ऑब्जर्वेशन जारी करने में औसतन 76 दिन का समय लिया। नियामक ने एक दर्जन से ज्यादा कंपनियोंं मसलन ग्लैंड फार्मा, आदित्य बिड़ला एमएफ और कैम्स के आईपीओ दस्तावेज को मंजूरी देने में 100 दिन से ज्यादा का समय लिया। सेबी के नियम के तहत नियामक पेशकश दस्तावेज जमा कराने के 30 दिन के भीतर फाइनल ऑब्जर्वेशन जारी कर सकता है, अगर कुछ निश्चित शर्तें पूरी कर दी जाए। इनमें निवेश बैंकर, अन्य नियामक या एजेंसियों की तरफ से किसी स्पष्टीकरण के मामले में संतोषजनक जवाब या सेबी की तरफ से मांगी गई अतिरिक्त सूचना शामिल है।
सूत्रोंं ने कहा कि सेबी व अन्य नियामकीय अधिकारी एलआईसी आईपीओ के लिए पेशकश दस्तावेज पर काम कर रहे हैं ताकि सुनिश्चित हो कि डीआरएचपी में सभी प्रासंगिक जानकारी हो और विवरणिका दाखिल करने के बाद और सूचना मांगे जाने की दरकार न पड़े। कानूनी विशेषज्ञोंं ने कहा कि एलआईसी के डीआरएचपी पर सेबी की मंजूरी न्यूनतम 21 दिन में मिल सकती है, जो सेबी को इस संबंध में सार्वजनिक टिप्पणियों में दी गई समयसीमा है।