अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांत रिसोर्सेज और भारत में सूचीबद्ध उसकी इकाई वेदांत ने पिछले कुछ महीनों के दौरान अपने हरेक प्रमुख कारोबार के लिए प्रमुखों की नियुक्ति की है। इससे पता चलता है कि कंपनी अपने कारोबार को अलग-अलग इकाइयों में बांटने की तैयारी कर रही है।
समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग ने जानकार लोगों के हवाले से खबर दी है कि वेदांत लिमिटेड अपने कारोबार का पुनर्गठन करते हुए उसे कई सूचीबद्ध कंपनियों में बांटने की योजना बना रही है। इससे दिग्गज कारोबारी अनिल अग्रवाल को धातु से लेकर ऊर्जा तक के अपने कारोबारी साम्राज्य पर कर्ज का बोझ बेहतर तरीके से संभालने में मदद मिल सकती है।
अग्रवाल ने पिछले महीने शेयरधारकों के नाम एक संदेश में वेदांत के कुछ या सभी कारोबारों के लिए अलग-अलग इकाई बनाने की संभावनाएं तलाशने का संकेत दिया था। कंपनी का कारोबार जस्ता, एल्युमीनियम, लौह अयस्क, बिजली, तांबा और तेल एवं गैस जैसे क्षेत्रों में है।
अग्रवाल के संदेश से पहले ही प्रवर्तक कंपनी और उसकी भारतीय सूचीबद्ध इकाई अपने एल्यूमीनियम, बेस मेटल, तेल एवं गैस और सेमीकंडक्टर जैसे कारोबार के लिए मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) की नियुक्ति में लग गई थीं। यही कारण है कि जनवरी से अब तक वेदांत ने तीन नए सीईओ- तेल एवं गैस कारोबार के लिए निक वॉकर, सेमीकंडक्टर कारोबार के लिए डेविड रीड और एल्युमीनियम कारोबार के लिए जॉन स्लेवन- को नियुक्त किया है। ये नियुक्तियां अगले सप्ताह से प्रभावी हो जाएंगी।
वेदांत रिसोर्सेज ने सितंबर में क्रिस ग्रिफिथ को अपने बेस मेटल कारोबार का सीईओ और अंतरराष्ट्रीय कारोबार का अध्यक्ष बनाने की घोषणा की थी। उसके अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया में जस्ता कारोबार, लाइबेरिया में लौह अयस्क कारोबार और पूरा तांबा पोर्टफोलियो- केसीएम, जाम्बिया, फुजैरा, संयुक्त अरब अमीरात व भारत में स्टरलाइट कॉपर- शामिल हैं। उनकी नियुक्ति अगले सप्ताह से प्रभावी होगी। अग्रवाल ने जाम्बिया की तांबा परिसंपत्तियां वेदांत को उचित मूल्य पर बेचने का भी प्रस्ताव रखा है।
समूची कवायद के बारे में टिप्पणी के लिए वेदांत को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।