सरकार ने सार्वजनिक हित से जुड़ी इकाइयों को प्रस्तावित डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून विधेयक के तहत पूर्व विनियमन कानून के प्रावधानों से छूट देने के लिए सुरक्षा उपायों का प्रस्ताव किया है। प्रस्तावित विधेयक की धारा 38 में केंद्र सरकार को विधेयक के एक या एक से अधिक प्रावधान लागू करने से उद्यमों को छूट देने, उसके लिए नियम कानून बनाने और इसके लिए अवधि तय करने का अधिकार दिया गया है।
प्रावधान में कहा गया है कि सरकार देश की सुरक्षा या सार्वजनिक हित को देखते हुए ऐसा कर सकती है। साथ ही, अगर भारत ने किसी देश के साथ संधि की है या किसी दायित्व को लेकर उसकी बाध्यता है तो उन संप्रभु कार्यों को करने के लिए वह ऐसा कर सकती है।
खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर सागरदीप राठी ने कहा, ‘यह व्यापक प्रावधान है। अपवाद के मामलों में सरकार ने बदलाव की गुंजाइश रखी है।’
विशेषज्ञों का कहना है कि मसौदा डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक, प्रतिस्पर्धा अधिनयिम की धारा 54 के अनुरूप है, जिसके तहत कारोबार के अनुकूल छूट दी जा सकती है। सरकार ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स, आईआरसीटीसी, ई-नाम (नैशनल एग्रीकल्चर मार्केट) के साथ कई डिजिटल प्लेटफॉर्म चलाती है।
इंडसलॉ में पार्टनर उन्नति अग्रवाल ने कहा, ‘मसौदा डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक में इस प्रावधान को शामिल करने से पहली नजर में इसी इरादे की पुष्टि होती है। हालांकि यह उम्मीद है कि यह सरकारी उद्यमों और स्थानीय भारतीय उद्यमों को छूट देकर संरक्षणवाद की स्थिति नहीं पैदा करेगा क्योंकि ऐसी छूट दिए जाने से कारोबार का असमान क्षेत्र तैयार होने की आशंका होती है।’