इस्पात बनाने के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी पोस्को का उड़ीसा विवाद गुजरात के लिए सोने के अंडे देने वाली मुर्र्गी साबित हो सकता है।
अगर कुछ अर्से तक यह विवाद नहीं निपटा, तो गुजरात को अच्छा खासा फायदा होने की उम्मीद है।दरअसल अहमदाबाद की एक कंपनी शाह अलॉयज लिमिटेड (साल) पोस्को की भारतीय सहायक पोस्को इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ गठबंधन करने की कोशिश कर रही है।
हालांकि अभी बातचीत ही चल रही है और कोई निर्णायक फैसला नहीं लिया गया है।औद्योगिक सूत्रों के अनुसार साल एक साझा उपक्रम बनाने के लिए पिछले कुछ महीने से दक्षिण कोरियाई स्टील कंपनी के साथ बात कर रही है।
बातचीत काफी आगे तक बढ़ चुकी है। पोस्को इंडिया के प्रवक्ता शशांक पटनायक ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘शाह अलॉयज लिमिटेड ने गुजरात में इस्पात संयंत्र शुरू करने की पेशकश की है, लेकिन हमने उसे कोई जवाब नहीं दिया है।’
यह उपक्रम गुजरात में नया इस्पात निर्माण संयंत्र स्थापित करने या इस्पात उत्पादन का काम साल से ठेके पर कराने के लिए बनाया जा सकता है।पोस्को इस पर सकारात्मक संकेत दे सकती है क्योंकि उड़ीसा में उस पर बुरी गुजर रही है।
वहां भूमि अधिग्रहण को लेकर उसे तगड़े विरोध का सामना करना पड़ा। उड़ीसा में यह कंपनी लौह अयस्क खनन और 1.2 करोड़ टन क्षमता का इस्पात संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है।
इस परियोजना के लिए कंपनी को लगभग 4004 एकड़ भूमि की जरूरत है। लेकिन उसे महज 10 प्रतिशत जमीन ही मिल पाई?है।इस परियोजना के लिए कुल भूमि में से 90 प्रतिशत भूमि राज्य सरकार से संबद्ध है और बाकी भूमि निजी भूमि श्रेणी के तहत आती है।
भूमि अधिग्रहण में हो रही देरी को देखकर कंपनी ने अपनी योजना बदली है।?अब उसने इस्पात निर्माण का पहला चरण 2012 तक शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।साल ने पोस्को को लौह अयस्क खनन की अपनी योजना पर कायम रहने और इस्पात निर्माण योजना को गुजरात में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है।
कंपनी का कहना है कि उसके पास पर्याप्त भूमि और कुशल मानव संसाधन है और पोस्को इसका लाभ उठा सकती है।
तकरीबन 200 करोड़ रुपये के कारोबार वाली साल सैल स्टेनलेस स्टील प्लेट्स, हॉट रोल्ड कॉयल्स और बिलेट्स बनाती है। सांतेज में उसका बड़ा संयंत्र है।