टॉयज अरास ने भारत में दूसरी बार प्रवेश किया है और हैदराबाद में अपना पहला स्टोर खोला है। यह भारत में 1.5 अरब डॉलर के खिलौना बाजार में पैठ बनना चाहती है क्योंकि इसका 90 प्रतिशत से अधिक हिस्सा अब भी असंगठित है। भारतीय बाजार में खिलौना क्षेत्र की इस खुदरा विक्रेता के प्रवेश से इसे सीधे हैमलेज के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी।
अमेरिका की यह खिलौना खुदरा विक्रेता ओमनीचैनल के नजरिये से काम कर रही है और वैश्विक स्तर पर इसके जो स्टोर हैं, उनकी तुलना में इसके छोटे स्टोर होंगे। इसका ऑनलाइन स्टोर – टॉयजआरयूएस डॉट इन है और यह खास तौर पर ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म – फ्लिपकार्ट और मिंत्रा पर भी बिक्री करेगी।
ऐस टर्टल और फ्लिपकार्ट के बीच 50:50 वाला संयुक्त उद्यम इसका भारतीय लाइसेंसधारक है। टॉयज अरास वैश्विक महामारी से ठीक पहले एक अलग लाइसेंसधारी साझेदार के साथ भारत आई थी और उसने 10 से 12 स्टोर खोले थे, जिन्हें महामारी की वजह से बंद करना पड़ा था।
अगले तीन साल के दौरान भारत में टॉयज अरास के 75 स्टोर होंगे और देश में स्टोर का आकार 5,000-15,000 वर्ग फुट के बीच रहेगा, जबकि वैश्विक स्तर पर स्टोर का आकार 50,000 से 75,000 वर्ग फुट के दायरे में रहता है।
कंपनी मांग पूरी करने के लिए पहले ही डार्क स्टोर स्थापित कर चुकी है, जो ऑनलाइन होंगे क्योंकि इसे उम्मीद है कि इसका 70 प्रतिशत राजस्व ई-कॉमर्स और इसकी अपनी वेबसाइट से आएगा और बाकी भौतिक स्टोरों से।
खिलौनों का औसत बिक्री मूल्य लगभग 1,000 रुपये होगा, लेकिन खुदरा विक्रेता का इरादा खिलौनों की ऐसी श्रृंखला रखने का है, जो 25,000 रुपये तक जाएगी और उनका विनिर्माण देश में किया जाएगा। भारतीय ब्रांड भी अपने खिलौने अमेरिका की इस खिलौना खुदरा विक्रेताओं के जरिये बेचेंगे।
यह परिधानों की भी बिक्री करेगी, लेकिन परिधान का योगदान केवल 10 प्रतिशत होगा। हालांकि यह उन अन्य बाजारों की परिधान बिक्री की तुलना में अधिक है, जहां इसके इसकी खिलौनों की बिक्री लगभग 95 प्रतिशत है।
ऐस टर्टल के मुख्य कार्याधिकारी नितिन छाबड़ा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि भारत के स्टोर छोटे हो रहे हैं, लेकिन भारत में की जा रही शुरुआत और बाकी दुनिया के बीच अंतर है। अन्य बाजारों में टॉयज अरास के सभी स्टोर भौतिक हैं और उसके बाद उन्होंने ऑनलाइन की दिशा में जाना शुरू किया है, अब ओमनीचैनल में जाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हम पहले ही ओमनीचैनल नजरिये से शुरुआत कर रहे हैं।
इसके प्रवेश का दूसरा चरण 2023 के अंत से पहले लागू होगा। छाबड़ा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय खिलौना ब्रांडों के साथ हमारे अनुबंध में कुछ वक्त लग रहा है क्योंकि हम उनके साथ यह करार कर रहे हैं कि विनिर्माण भारत में ही की जाएगी।