टायर निर्माता कच्चे माल की बढ़ती लागत से जूझ रहे हैं। जून 2024 में प्राकृतिक रबर की कीमतें 10 साल के ऊंचे स्तर पर पहुंच गईं। लागत में इस उछाल के कारण सिएट और जेके टायर्स जैसी प्रमुख कंपनियां बढ़ती लागत की भरपाई के प्रयास के तहत कीमतें बढ़ाने के लिए बाध्य हुई हैं। उद्योग विश्लेषकों का मानना है कि कच्चे माल की कीमतें अगली तिमाही में 5-6 प्रतिशत तक और बढ़ जाएंगी। हालांकि तीसरी तिमाही (दिसंबर 2024) तक इनमें ठहराव या नरमी की भी उम्मीद है।
उद्योग के जानकारों का मानना है कि जहां कच्चे माल की लागत स्थिर हो सकती है या कम भी हो सकती है, लेकिन मौजूदा तेजी का रुझान अगले कुछ महीनों तक जारी रहने की संभावना है। इससे टायर बाजार में कीमतों में और बदलाव हो सकता है।
सिएट के मुख्य वित्तीय अधिकारी कुमार सुब्बैया ने बताया कि लागत नियंत्रण के प्रयास में कंपनी ने कुछ श्रेणी के टायरों की कीमतें बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मौजूदगी बढ़ाने की योजना बनाई है। कंपनी आगामी तिमाहियों में अंतरराष्ट्रीय रीप्लेसमेंट बाजार में ट्रक और बस के रेडियल टायर पेश करने, वितरक नियुक्तियां करने और टायर निर्यात बढ़ाने की योजना बना रही है।
सुब्बैया ने कहा, ‘ओपीएम सेगमेंट में मंजूरियां मिलने में तेजी आई है। इससे बढ़ती कीमतों की भरपाई के लिए वर्तमान और आगामी तिमाहियों में परिचालन बढ़ाना जरूरी हो गया है।’
दूसरी तरफ, जेके टायर्स दोतरफा रणनीति अपना रही है। कच्चे माल की लागत पर दबाव स्वीकार करते हुए कंपनी ने मार्जिन पर असर से बचने के लिए उत्पाद मिश्रण को अनुकूल बनाने और परिचालन दक्षता पर जोर दिया है।
कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी संजीव अग्रवाल ने कहा, ‘कच्चे माल की औसत कीमतें तिमाही दर तिमाही आधार पर 3-4 प्रतिशत तक बढ़ी हैं और कंपनी इस वृद्धि का करीब 2 प्रतिशत बोझ उपभोक्ताओं पर डालने में कामयाब रही है।’
रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार घरेलू टायर की बिक्री वृद्धि वित्त वर्ष 2025 में 4-6 प्रतिशत रहने का अनुमान है।