टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने अनिश्चित परिदृश्य के बावजूद चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 8.1 अरब डॉलर के कुल अनुबंध मूल्य (टीसीवी) के साथ दमदार प्रदर्शन किया है। मुनाफे के मोर्चे पर कंपनी 10,000 करोड़ रुपये के पार पहुंच गई। टीसीएस के एमडी एवं सीईओ राजेश गोपीनाथन ने शिवानी शिंदे के साथ बातचीत में विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। पेश हैं मुख्य अंश:
वृहद आर्थिक परिदृश्य की स्थिति और प्रबंधन की राय में अंतर दिख रहा है। मंदी के पिछले चक्रों से तुलना की जाए तो इस बार क्या अंतर है?
मुझे नहीं लगता है कि इसमें कोई अंतर है। हमारे ग्राहकों के बीच जो दिख रहा है उसके बारे में हम बात कर सकते हैं। हमारे ग्राहक इस परिदृश्य का सामना कर रहे हैं और आगे भी करेंगे जो चक्र में तेजी अथवा नरमी, निवेश में वृद्धि, सुदृढ़ीकरण आदि पर निर्भर करता है।
अपनी प्रासंगिकता बरकरार रखने के लिए हमारे पास पर्याप्त पोर्टफोलियो है। हमारे ग्राहक सतर्क दिख रहे हैं लेकिन उन्होंने हमारी किसी परियोजना को रद्द नहीं किया है। पिछले 10 वर्षों के दौरान दो मंदियों- वित्तीय संकट और वैश्विक महामारी- के दौरान तगड़ा झटका लगा क्योंकि उसके बारे में किसी को पता नहीं था। सबकुछ अचानक हुआ। इस बार अंतर केवल इतना है कि मंदी का अनुमान पहले से ही जाहिर किया गया था।
संगठन का नया ढांचा किस प्रकार उभर रहा है?
पुनर्गठन के तहत कंपनी अपने कारोबारी सफर के विभिन्न पड़ाव पर ग्राहकों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करती है। इसका एक उद्देश्य सौदे के आकार के बजाय सीधे ग्राहकों की साइट पर सेवाएं उपलब्ध कराना है। यह ग्राहकों के साथ संबंध पर फोकस व तात्कालिकता को बढ़ाता है। मूल्य धीरे-धीरे घटने लगता है लेकिन नतीजे का आकलन करने में समय लगेगा।
आपने पुनर्गठन के बारे में कैसे सोचा? क्या सौदे छोटे हो रहे थे?
ऐसा बाहरी कारणों से नहीं किया गया है। हम काफी समय से वृद्धि और बदलाव पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की बात करते रहे हैं। हमने उसी के अनुरूप आंतरिक तौर पर कदम उठाए हैं।
आगे चलकर क्लाउड कितना महत्त्वपूर्ण रहेगा?
वैश्विक महामारी ने क्लाउड को सीधे बोर्डरूम में पहुंचा दिया है। कई घोषणाओं में सी सूट को दमदार तरीके से उठाया गया है और उसके लिए प्रतिबद्धता जताई गई है। हालांकि शुरुआती उत्साह ठंडा पड़ चुका है क्योंकि अब हम निष्पादन के चरण में पहुंच चुके हैं। क्लाउड में बदलाव की बात अब पुरानी हो चुकी है। क्लाउड प्रौद्योगिकी अब उस चरण में पहुंच चुकी है जहां वह सुर्खियों से गायब हो गई है लेकिन यह एक ऐसी जगह है जहां इसे सफलतापूर्वक लागू करने वालों को उसके मूल्य का पता चलता है।
टीसीएस की नजर 25-26 फीसदी मार्जिन पर क्यों है?
सवाल यह नहीं है कि सही आंकड़ा क्या है। आंकड़ों पर लगातार ध्यान केंद्रित करने से आप अपने कारोबारी मॉडल को सही तरीके से आगे बढ़ाते हैं। मार्जिन प्रतिस्पर्धी अंतर का खेल है क्योंकि यदि आपके पास प्रतिस्पर्धा देने की ताकत है तो आप मार्जिन पर हासिल कर लेंगे।
कर्मचारियों द्वारा कंपनी छोड़ने की दर 21.5 फीसदी पर वास्तव में अधिक है। क्या इससे कामकाज प्रभावित हो रही है और इसमें नरमी कब दिखेगी?
कर्मचारियों द्वारा कंपनी छोड़ने की दर यानी एट्रिशन मौजूदा स्तर पर हमारी सहजता सीमा से काफी ऊपर है। हम इसे नीचे लाएंगे। भले ही यह सहजता से काफी ऊपर है लेकिन उद्योग के लिए 20 फीसदी दर आदर्श है। टीसीएस का दीर्धावधि औसत 12 फीसदी है जबकि उद्योग के मामले में यह आंकड़ा 18 से 20 फीसदी है।
एट्रिशन में गिरावट आवश्यक है। हमारे यहां फ्रेशरों को किसी खास परियोजना के लिए नहीं बल्कि दीर्घकालिक मांग को देखते हुए नियुक्त किया जाता है। इसके अलावा अनुभवी लोगों की नियुक्तियों से भी इसे थामने में मदद मिलेगी।
क्या कर्मचारियों की संख्या और राजस्व वृद्धि में कभी भी नाटकीय गिरावट दिख सकती है?
मुझे कर्मचारियों की संख्या और आय में नाटकीय रूप से कोई कमी नहीं दिख रही है। उद्योग अभी भी कार्यबल का प्रबंधन कर रहा है। संख्या में थोड़ी गिरावट हो सकती है लेकिन कुछ भी नाटकीय नहीं होगा।
केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि अब समय आ गया है कि उद्योग मूनलाइटिंग को स्वीकार करे और कर्मचारियों की उद्यमशीलता संबंधी मानसिकता का समर्थन करे। आपकी टिप्पणी?
जब आप कर्मचारी की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता की बात करते हैं तो प्रतिबद्धता दोनों ओर से होनी चाहिए। सरकार का परिप्रेक्ष्य किसी कंपनी के मुकाबले व्यापक है। पारंपरिक आईटी सेवा उद्योग का कारोबारी मॉडल काफी मजबूत है।