दूरसंचार विभाग द्वारा जारी ताजा आंकड़े से पता चलता है कि भारत में 2 अप्रैल तक 1.4 लाख 5G बेस स्टेशन (BTS) थे, जिन्हें 5G रेडियो भी कहा जाता है।
आंकड़े से पता चलता है कि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में BTS की संख्या सर्वाधिक थी। BTS किसी मोबाइल नेटवर्क में एक फिक्स्ड रेडियो ट्रांससीवर होता है, जिसे अक्सर मोबाइल टावर पर लगाया जाता है।
दो दूरसंचार कंपनियां Reliance Jio और Bharti Airtel मौजूदा समय में 5G दबदबे की दौड़ में हैं, और 5G BTS को पूरे देश के शहरों में तेजी से जोड़ रही हैं। कुल लगाए गए BTS की संख्या 16 फरवरी को 84,346 थी और पिछले साल 20 दिसंबर को 20,980 थी।
सरकार ने शुरू में दोनों दूरसंचार कंपनियों के लिए हर सप्ताह कम से कम 10,000 BTS लगाना अनिवार्य बना दिया था।
कंपनियों के आंकड़े अलग-अलग
रिलायंस जियो (Reliance Jio) के एक अधिकारी ने कहा, ‘शुरू में लॉजिस्टिक समस्याएं थीं। इनमें से ज्यादातर समस्याओं को दूर कर लिया गया है, लेकिन कई अभी भी बरकरार हैं। कंपनी को दिसंबर 2023 तक हरेक कस्बे और तहसील में 5G उपकरण लगाए जाने का भरोसा है।’
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि रिलायंस जियो के 5G रेडियो की संख्या मार्च के शुरू तक एयरटेल के मुकाबले 4 गुना से ज्यादा थी।
2 मार्च को, भारती एयरटेल ने 19,142 BTS के साथ 500 से ज्यादा शहरों में 5G सेवा की पेशकश की थी, जबकि जियो ने 82,509 BTS के साथ 450 शहरों में यह सेवा शुरू की।
छोटे टावरों पर नजर
एक मुख्य समस्या कुछ मामलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने के लिए लंबी और जटिल मंजूरी प्रक्रिया है। 5G की तेज पेशकश और शहरी इलाकों में बेहतर कवरेज सुनिश्चित करने के लिए दूरसंचार विभाग द्वारा मौजूदा मंजूरी प्रक्रिया में कम क्षमता के 5G ट्रांससीवरों के इंस्टॉलेशन को अलग रखे जाने की संभावना है।
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इससे बिजली के खंभों, बस स्टॉप और ट्रैफिक लाइटों जैसी जगहों पर 600 वॉट से कम रेडिएशन पावर के कम विद्युत आधार वाले ट्रांससीवर स्टेशन (LPBTS) लगाने में मदद मिलेगी। लेकिन अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है कि यह कदम कब उठाया जाएगा।
पिछले साल नवंबर में, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने LPBTS या छोटे टावरों की खास श्रेणी पर ध्यान केंद्रित किया था।