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वोडाफोन आइडिया के लिए बड़ा सोच रही सरकार

Last Updated- December 12, 2022 | 4:59 PM IST

सरकार दूरसंचार पैकेज के तहत की गई पेशकश के अलावा भी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (VIL) के लिए अ​धिक व्यापक पुनर्गठन योजना पर विचार कर सकती है।

दूरसंचार पैकेज के तहत बकाये के एक हिस्से को इ​क्विटी में बदलने की पेशकश की गई थी। वोडाफोन आइडिया के अलावा एक अन्य दूरसंचार कंपनी ने इस योजना का लाभ उठाया है।

इस मामले की जानकारी रखने वाले शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा कि ऐसी कोई भी पहल कंपनी के मौजूदा प्रवर्तक आदित्य बिड़ला समूह और वोडाफोन पीएलसी के अतिरिक्त निवेश अथवा नए निवेशकों द्वारा किए जाने वाले निवेश पर निर्भर करेगी। वोडाफोन आइडिया ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि वह इस मुद्दे पर सरकार से बातचीत का इंतजार कर रही है।

सरकारी सूत्रों ने कहा कि सरकार ने वोडाफोन आइडिया के लिए रकम जुटाने की कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की है। सरकार ने कंपनी से कहा है कि वह अपने पुनरुद्धार के लिए नई कारोबारी योजना तैयार करे क्योंकि उसे 5जी सेवा शुरू करने की जल्दी नहीं है।

एक वरिष्ठ सरकारी अ​धिकारी ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि वोडाफोन आइडिया बनी रहे। हमें पता है कि बकाया चुकाने के लिए ज्यादा व्यापक पुनर्गठन की आवश्यकता है। हमें ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि उसके प्रवर्तक अतिरिक्त निवेश नहीं कर सकते हैं।

हमने वोडाफोन आइडिया से नई कारोबारी योजना तैयार करने के लिए कहा है, लेकिन उसके लिए अथवा रकम जुटाने के लिए हमने कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं की है। इसके लिए हम इंतजार कर रहे हैं।’ इस घटनाक्रम से अवगत लोगों ने कहा कि व्यापक पैकेज में कंपनी के पुनर्गठन के लिए वि​भिन्न विकल्प शामिल हो सकते हैं। दूरसंचार विधेयक के मसौदे में ऐसी श​क्तियां दी गई हैं, जिनके तहत दूरसंचार विभाग सरकार को मिलने वाले शुल्क, ब्याज, अतिरिक्त शुल्क और दंड को पूरा अथवा आं​शिक माफ कर सकता है।

साथ ही वह बाजार में प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने अथवा ग्राहकों के हितों के लिए दूरसंचार कंपनियों को इस कानून के प्रावधानों से राहत भी दे सकता है। पिछले साल दूरसंचार पैकेज की घोषणा करते हुए विभाग ने एक बड़ा कदम उठाया था। इसके तहत दूरसंचार कंपनियों के बकाये को इ​क्विटी में बदलने की पेशकश की गई। केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद दूरसंचार पैकेज लागू भी हो चुका है।

वोडाफोन आ​इडिया ने दूरसंचार पैकेज का फायदा उठाते हुए 16,000 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम शुल्क एवं एजीआर बकाये को इक्विटी में बदलने का फैसला किया है। इसके परिणामस्वरूप वोडाफोन आ​इडिया में सरकार की करीब 33 फीसदी हिस्सेदारी हो जाएगी। मगर सरकार ने इसे फिलहाल रोक रखा है क्योंकि वह चाहती है कि पहले प्रवर्तक या रणनीतिक निवेशक कंपनी में निवेश करें।

बहरहाल यह स्पष्ट है कि सरकार वोडाफोन आइडिया के लिए काफी कुछ करना चाहती है क्योंकि उसकी देनदारी का अ​धिकांश हिस्सा सरकारी बकाये के रूप में है के रूप में है। अप्रैल से जून 2022 के दौरान वोडाफोन आइडिया पर कुल ऋण बोझ 1,99,080 करोड़ रुपये था, जिसमें 1,16,000 करोड़ रुपये स्पेक्ट्रम बकाये की टाली गई देनदारी और 67,000 करोड़ रुपये एजीआर बकाया है। इसमें वित्तीय लेनदारों का बकाया 15,200 करोड़ रुपये था। इसी साल मार्च में वोडाफोन आइडिया ने अपने प्रवर्तकों से 4,500 करोड़ रुपये जुटाए थे।

इसमें वोडाफोन पीएलसी ने 3,375 करोड़ रुपये का निवेश किया था और शेष बिड़ला का निवेश था। कंपनी ने यह रकम इंडस टावर्स के बकाये को निपटाने के लिए जुटाई थी। वोडाफोन पीएलसी ने वित्त वर्ष 2022 की अपनी वा​र्षिक रिपोर्ट में आक​स्मिक देनदारी ढांचे के तहत वोडाफोन आइडिया में आगे किसी भी निवेश से इनकार किया है। वोडाफोन आइडिया ने 1,600 करोड़ रुपये के बकाये को वैक​ल्पिक परिवर्तनीय डिबेंचर में बदलने के लिए एटीसी टावर्स के साथ करार भी किया है। मगर कंपनी ने कहा कि यह प्रस्ताव अब खत्म हो गया है क्योंकि इसमें शर्त थी कि सरकार अपने बकाया ब्याज को इक्विटी में बदल दे।

First Published - December 12, 2022 | 4:58 PM IST

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