कंपनियां

TRAI के स्पेक्ट्रम सुझावों पर टेलीकॉम कंपनियों की आपत्ति, सैटेलाइट सेवाओं को बताया सीधी प्रतिस्पर्धा

ट्राई के मुताबिक, स्थलीय और सैटेलाइट के बीच क्षमता अनुपात 60:1 से 250:1 तक है और यह काफी हद तक स्थलीय के पक्ष में है।

Published by
सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- May 19, 2025 | 11:36 PM IST

सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के सदस्यों के बीच प्रसारित एक मसौदे पर दूरसंचार कंपनियां चर्चा कर रही है। ये भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के उस मौलिक तर्क को चुनौती देने की योजना बना रहा है, जिसमें कहा गया है कि सैटेलाइट और स्थलीय ब्रॉडबैंड प्रतिस्पर्धी सेवाएं नहीं हैं बल्कि एक दूसरे के पूरक हैं। नतीजतन, इन दोनों के लिए समान अवसर की जरूरत नहीं है।

यह निष्कर्ष कुछ दिन पहले ही जारी की गई दूरसंचार विभाग को सैटेलाइट सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण पर ट्राई की सिफारिश का हिस्सा था। ट्राई के मुताबिक, स्थलीय और सैटेलाइट के बीच क्षमता अनुपात 60:1 से 250:1 तक है और यह काफी हद तक स्थलीय के पक्ष में है। सीओएआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुष्टि की है कि सदस्यों के बीच मसौदा पत्र प्रसारित किया जा रहा है, लेकिन जब तक आम सहमति नहीं बन जाती तब तक वह कुछ भी बताने में असमर्थ हैं।

हालांकि, दूरसंचार कंपनियों ने ट्राई की दलील खारिज कर दी है और वे दूरसंचार विभाग को नियामक की सिफारिश पर अपने जवाब में इस पर सवाल उठाने की योजना बना रही है।

दूरसंचार कंपनियों में से एक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘नियामक ने अपनी गणना में सैटेलाइट कंपनियों द्वारा पैदा की जारी विशाल बैंडविथ क्षमता को कम तर आंका है, जो कि अधिकतर स्थलीय ऑपरेटरों से कहीं ज्यादा होगी। नतीजतन, वे आक्रामक तरीके से प्रतिस्पर्धा करेंगे और स्थलीय ऑपरेटरों के लिए प्रतिस्पर्धा संतुलन में अड़चन डालेंगे। इसलिए, वे पूरी तरह प्रतिस्पर्धी ही हैं।’

उन्होंने दावा किया कि परामर्श पत्र में दूरसंचार कंपनियों ने सैटेलाइट क्षमता का पूरा विश्लेषण बताया था, लेकिन ट्राई ने सैटेलाइट क्षमता को काफी कम आंका है। इसके अलावा इसने उन दूरसंचार कंपनियों से भी कुछ नहीं पूछा जो अपनी क्षमता पर सैटेलाइट सेवाएं चला रही हैं। मगर नियामक ने स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण में समान अवसर सुनिश्चित करने की आवश्यकता को अस्वीकार कर दिया।

First Published : May 19, 2025 | 10:50 PM IST