मशहूर किताब 'रिच डैड पुअर डैड' के लेखक और फाइनेंशियल एडवाइजर रॉबर्ट कियोसाकी | फाइल फोटो
मशहूर लेखक और निवेशक रॉबर्ट कियोसाकी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में अमीरी और गरीबी के बीच फर्क को बहुत आसान शब्दों में समझाया है। उन्होंने लिखा कि उनके “गरीब पापा” के पास PhD थी, जबकि उनके “अमीर पापा” ने कभी हाई स्कूल भी पूरा नहीं किया। इसके बावजूद एक की मौत कर्ज और तंगी में हुई, जबकि दूसरा करोड़पति बनकर रिटायर हुआ। कियोसाकी के मुताबिक इसका कारण पढ़ाई या बुद्धि नहीं, बल्कि पैसे को लेकर सोच थी।
कियोसाकी ने कहा कि अमीर और गरीब लोगों की सोच में बड़ा फर्क होता है। गरीब लोग हमेशा यह पूछते हैं कि कौन-सा निवेश सबसे सुरक्षित है, जबकि अमीर लोग यह सोचते हैं कि किस निवेश से उनके हाथ में नियंत्रण रहेगा, उधार (लीवरेज) मिलेगा और हर महीने नकद कमाई होगी। उन्होंने बताया कि कोई भी निवेश अपने आप में अच्छा या बुरा नहीं होता, असली फर्क इस बात से पड़ता है कि उस निवेश को समझने की आपकी जानकारी कितनी है।
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अपने पोस्ट में उन्होंने “गरीब सोच” और “अमीर सोच” की तुलना करते हुए लिखा कि गरीब सोच कहती है—सुरक्षित रहने के लिए पैसा अलग-अलग जगह लगाओ, बाजार ऊपर जाए तो उम्मीद करो, और अक्सर कहती है कि “मेरे पास पैसे नहीं हैं।” वहीं अमीर सोच कहती है—इतनी जानकारी हासिल करो कि डरने की जरूरत न पड़े, हर बाजार में नकद कमाई कैसे करनी है यह सीखो, और यह सवाल पूछो कि ऐसा साधन कैसे खरीदा जाए जो खुद अपना खर्च निकाल ले।
रॉबर्ट कियोसाकी के मुताबिक असली जोखिम निवेश करना नहीं, बल्कि हमेशा गरीब बने रहना है। उन्होंने कहा कि गरीब लोग सुरक्षा ढूंढते हैं, जबकि अमीर लोग शिक्षा और समझ पर भरोसा करते हैं। जब किसी के पास सही जानकारी होती है, तो उसे “सेफ” निवेश की जरूरत नहीं पड़ती, क्योंकि वह जानता है कि जीत कैसे हासिल करनी है।