सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की नामी गिरामी कंपनियों में शुमार टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस)का नाम इस हफ्ते चर्चा में रहा।
लेकिन कंपनी किसी अच्छी वजह से चर्चा में नहीं रही, दरअसल आईटी सेक्टर में मंदी के घुन की वजह से खस्ता हो रही हालत को सबके सामने रखने का ही उसने काम किया।
इन्फोसिस, विप्रो और सत्यम जैसी आईटी कंपनियों के मुनाफे कटने से टीसीएस के बारे में भी कुछ लोग ऐसा ही सोच रहे थे। लेकिन कई का यह भी मानना था कि यह देशी कंपनी अच्छा मुनाफा कमाकर आईटी को मंदी से उबारने की राह दिखाएगी। बहरहाल, कंपनी के परिणाम आने पर सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं।
देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी इस साल मार्च में खत्म हुई तिमाही में अपने मुनाफे में पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के मुकाबले महज 4.15 फीसदी इजाफा दर्ज कर पाई। हालांकि समूचे वित्त वर्ष में कंपनी को ज्यादा मुनाफा हुआ। पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले खत्म हुए वित्त वर्ष में कंपनी का शुद्ध मुनाफा 19.31 फीसद बढ़ गया। उसके राजस्व में भी 22.36 फीसद का इजाफा हुआ।
कंपनी पर अमेरिकी मंदी और रुपये की बढ़ती कीमत का भी खासा असर हुआ। टीसीएस के मुख्य परिचालन अधिकारी और कार्यकारी निदेशक एन चंद्रशेखरन ने भी माना कि कुछ परियोजनाएं मिललने में हुई देरी और सौदों पर मुहर नहीं लगने की वजह से मुनाफा घट गया।
कंपनी को कुछ सौदे रद्द होने का भी खामियाजा भुगतना पड़ा। चिली की सरकार ने उसके साथ 10 साल का करार रद्द कर दिया और कुछ बैंकिंग तथा वित्तीय संस्थाओं ने भी उससे मुंह मोड़ लिया। दरअसल अमेरिकी मंदी और रुपये की घटती कीमत टीसीएस के लिए भी भारी साबित हुई।
लेकिन कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक एस रमादुरै को अगले वित्त वर्ष से काफी उम्मीदें हैं। उनके मुताबिक अमेरिकी बाजार पर कंपनी की निगाह है और वहां की मंदी से खजाने में छेद को देखकर वह बचने के लिए नए बाजारों में पैठ बनाने जा रही है। विश्लेषकों की मानें, तो कंपनी के लिए आने वाले दिन सुनहरे हैं और उसमें निवेश करने वालों की भी चांदी हो सकती है।
दरअसल अमेरिका ने कंपनी का बहीखाता गड़बड़ाया, लेकिन एशिया-प्रशांत, भारत, पश्चिम एशिया और अफ्रीका जैसे इलाके उसके लिए खुशखबरी लेकर आए। इन नए बाजारों से उसके राजस्व में 41 फीसद की बढ़ोतरी हुई है और आंकड़ा 4,400 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।ब्रिटेन से उसका राजस्व 4,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया और यूरोप में भी 2,000 करोड़ रुपये की लाइन कंपनी ने लांघ ली।
लेकिन रुपया यहां भी खेल गया। रुपये की कीमत बढ़ने से टीसीएस के राजस्व में 11 फीसद की गिरावट दर्ज की गई और पगार बढ़ने से भी उसका मुनाफा कम हो गया। लेकिन कंपनी इस साल भी अपने कर्मचारियों की पगार बढ़ाने की बात कह रही है। उसने अपने कर्मचारियों की संख्या में 30 से 35 हजार की बढ़ोतरी की बात भी कही है यानी कंपनी की कमाई अच्छी खासी है। पिछले वित्त वर्ष के अंत में कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 111,407 थी।