टाटा स्टील (Tata Steel) ने आज कहा कि वह जमशेदपुर वर्क्स के ब्लास्ट फर्नेस में हाइड्रोजन गैस इंजेक्शन का ट्रायल कर रही है, जिसका लक्ष्य कोक की दर में कटौती करते हुए कार्बन उत्सर्जन (carbon emission) कम करना है।
कंपनी के एक बयान में कहा गया है कि इस ट्रायल में जमशेदपुर वर्क्स के ‘ई’ ब्लास्ट फर्नेस में 40 प्रतिशत इंजेक्शन प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें कहा गया है कि यह दुनिया में पहली बार है कि ब्लास्ट फर्नेस में इतनी बड़ी मात्रा में हाइड्रोजन गैस को लगातार इंजेक्ट किया जा रहा है।
यह ट्रायल रविवार को शुरू हुआ और चार या पांच दिन तक लगातार जारी रहेगा ताकि ग्रीन ईंधन इंजेक्शन के साथ ब्लास्ट फर्नेस के परिचालन, जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करने और ब्लास्ट फर्नेस से कार्बन उत्सर्जन के संबंध में विस्तृत जानकारी उपलब्ध हो सके। यह कदम वर्ष 2045 तक नेट जीरो की परिकल्पना के अनुरूप था।
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कंपनी ने कहा कि इस परीक्षण में कोक की दर 10 प्रतिशत तक कम करने की क्षमता थी, जो प्रति टन कच्चे इस्पात के कार्बन उत्सर्जन में तकरीबन सात से 10 प्रतिशत की कमी है।
टाटा स्टील के उपाध्यक्ष (प्रौद्योगिकी और आरऐंडडी) देवाशीष भट्टाचार्जी ने कहा कि डीकार्बोनाइजेशन की दिशा में हमारे प्रयास सतत भविष्य के निर्माण की हमारी प्रतिबद्धता से प्रेरित हैं। यह परीक्षण, जो डिजाइन, निर्माण और इंजेक्शन प्रणाली चालू करने में हमारी क्षमताओं का सबूत है, हरित इस्पात निर्माण में हमारे प्रवेश को गति प्रदान करेगा।