टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस ने परिसंपत्तियों की बिक्री की संभावना से इनकार कर दिया है। बैंकरों का कहना है कि कंपनी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपनी वित्तीय जरूरतें पूरी करने के लिए अंतरराष्ट्रीय ऋण बाजारों पर ध्यान दे सकती है और स्थानीय बैंकों को ऋणपत्र जारी कर सकती है।
इस घटनाक्रम से जुड़े बैंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय पेशकश का आकार अभी तय नहीं किया गया है और यह मौजूदा समय में उसके लिए प्रमुख विकल्पों में से एक है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2018 में भी इस विकल्प का इस्तेमाल किया था, जब टाटा संस ने पहली बार वैश्विक कर्ज के जरिये 1.5 अरब डॉलर की रकम जुटाई थी। प्राइवेट कंपनी बनने के बाद टाटा संस बीमा नियामक की रोक के तहत बीमा कंपनियों से पूंजी उगाही में विफल रही। इसलिए अब वह कोष उगाही के विकल्पों पर विचार कर रही है।
हालांकि कंपनी को वित्त वर्ष 2020 में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज के नेतृत्व में अपनी सहायक इकाइयों से लाभांश के तौर पर करीब 20,236 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन बैंकरों का कहना है कि यह रकम टाटा टेलीसर्विसेज जैसी समूह की अन्य कंपनियों की वित्तीय देनदारियों को पूरा करने के लिहाज से पर्याप्त नहीं होगी। टाटा टेलीसर्विसेज को सर्वोच्च न्यायालय ने समायोजित सकल राजस्व के तौर पर लगभग 14,000 करोड़ रुपये चुकाने को कहा है। टाटा टेली ने वित्त वर्ष 2020 में 49,000 करोड़ रुपये का कुल नुकसान दर्ज किया है।
होल्डिंग कंपनी को समूह की दो एयरलाइंस एयरएशिया और विस्तारा में अतिरिक्त इक्विटी निवेश करने की जरूरत होगी, क्योंकि इन्हें कोविड-19 और लॉकडाउन की वजह से बुरे दौर से जूझना पड़ रहा है। बैंकों का कहना है कि समूह की आवासीय और इन्फ्रास्ट्रक्चर इकाइइयों को भी पैतृक कंपनी से करीब 25,000 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इस संबंध में टाटा संस को भेजे गए सवालों का अभी कोई जवाब नहीं मिला है। होल्डिंग कंपनी द्वारा टाटा मोटर्स में अतिरिक्त पूंजी निवेश किए जाने की संभावना है। टाटा मोटर्स को भी लॉकडाउन की वजह से अपने घरेलू और वैश्विक व्यवसायों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उसकी ब्रिटिश सहायक कंपनी जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) बॉन्डों पर प्रतिफल में तेजी की वजह से सुर्खियों में है और उसकी उधारी लागत में तेजी आ रही है। जेएलआर बॉन्ड मौजूदा समय में लगभग 10.54 फीसदी के प्रतिफल पर कारोबार कर रहे हैं, जो वाहन उद्योग में सर्वाधिक है। विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह के बॉन्ड प्रतिफल ने कंपनी के लिए मौजूदा परिवेश में बॉन्ड बाजार के जरिये कोष उगाही के संदर्भ में राह मुश्किल कर दी है। अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए का मानना है कि जेएलआर समेत टाटा मोटर्स का यात्री कार व्यवसाय वित्त वर्ष 2020 और वित्त वर्ष 2021 में नकदी प्रवाह में करीब 40,000 करोड़ रुपये की कमी दर्ज करेगा।
इसलिए, उसे पैतृक समूह से पूंजीगत सहायता की जरूरत हो सकती है। इससे पहले टाटा संस राइट इश्यू के जरिये इक्विटी फंडिंग में सक्रिय थी। मई 2019 में उसने वारंट कन्वर्जन के जरिये टाटा मोटर्स में करीब 3,000 करोड़ रुपये लगाए थे।
कंपनी के वित्तीय सेवा व्यवसाय को भी चालू वित्त वर्ष में कोष की जरूरत होगी। वित्त वर्ष 2020 में इस व्यवसाय को 3,500 करोड़ रुपये का निवेश मिला था। कंपनी की सालाना रिपोर्ट के अनुसार उसके अपास मार्च 2019 तक 3,700 करोड़ रुपये की नकदी और नकदी समतुल्य परिसंपत्तियां थीं। कंपनी का शुद्घ कर्ज 31 जुलाई 2019 तक बढ़कर 30,488 करोड़ रुपये हो गया था।
