ग्रामीण बाजार में मांग कैसी दिख रही है और मात्रा के लिहाज बिक्री कब बढ़ेगी?
दिसंबर तिमाही पर गौर करेंगे तो पता चलेगा कि करीब 2 फीसदी की वृद्धि के साथ सब सही दिशा में बढ़ रहा है। मूल्य के लिहाज से वृद्धि 6 फीसदी से बढ़कर 8 फीसदी, शहरी वृद्धि 8 फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी और ग्रामीण वृद्धि 3 फीसदी से बढ़कर 5 फीसदी हो गई। शहरी और ग्रामीण बाजारों में मात्रा के हिसाब से बिक्री में सुस्ती भी घटी है, जो अच्छा संकेत था। वृद्धि की यही रफ्तार हमें चौथी तिमाही तक बरकरार रखनी है।
आम तौर पर एक-दो वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं मगर इस बार सभी जिंस एक साथ चढ़ गए। रुपये में कमजोरी भी झेलनी पड़ रही है। ऐसे में पहली छमाही के दौरान कीमत बढ़ना लाजिमी है। महंगाई भले ही घट जाए मगर अभी यह नहीं कहा जा सकता कि जिंस के दाम गिरे हैं। लेकिन जिंस के भाव घटे तो हम ग्राहकों को उसका फायदा देंगे। मुझे लगता है कि दूसरी छमाही में मात्रा के लिहाज से बिक्री बेहतर रहनी चाहिए।
एचयूएल ने डिटरजेंट श्रेणी में प्रीमियम उत्पादों से ग्राहक कमाए हैं। साबुन के लिए भी ऐसी कोई योजना है?
दुनिया भर में साबुन के बजाय लिक्विड का चलन बढ़ा है क्योंकि यह बेहतर अनुभव देता है। शॉवर का चलन बढ़ने से भी लिक्विड को पसंद किया जाने लगा है बालटी से शॉवर जैसा अनुभव नहीं मिलता। उत्पादों को प्रीमियम बनाना जारी रहेगा। हमारी यह रणनीति आगे भी रहेगी लेकिन इसके लिए हम आम लोगों के बीच लोकप्रिय उत्पाद खत्म नहीं करेंगे।
एचयूएल के राजस्व में प्रीमियम उत्पादों की हिस्सेदारी कितनी है?
बाजार में प्रीमियम प्रोर्टफोलियो की हिस्सेदारी 27 से 28 फीसदी है, जबकि हमारे पोर्टफोलियो की हिस्सेदारी 36 फीसदी है। मुझे लगता है कि भारत में न केवल इस दशक में बल्कि आगे भी जबरदस्त खपत दिखेगी। ब्यूटी एवं पर्सनल केयर श्रेणी में हमारे दमदार ब्रांडों की उल्लेखनीय भूमिका होगी।
एचयूएल किन श्रेणियों में अधिग्रहण करना चाहती है?
विलय-अधिग्रहण के लिए सबसे पहले हमारी नजर रणनीतिक तौर पर अनुकूल कंपनी पर जाती है। हम ऐसी कंपनियां तलाशते हैं और देखते हैं कि खुद अपनी कंपनी खड़ी करने में कितना खर्च आएगा और अधिग्रहण में कितना खर्च होगा। मूल्यांकन सही दिखने पर ही हम उस पर गौर करते हैं। हम फूड श्रेणी या होम केयर श्रेणी में देख सकते हैं बशर्ते सौदा हमारे अनुकूल हो।
वितरण के नए तरीके आ रहे हैं और आपूर्ति श्रृंखला भी डिजिटल हो रही है। ऐसे में एफएमसीजी उत्पादों का वितरण कैसे होगा?
एक दशक बाद किराना दुकानों का योगदान घटकर 75 फीसदी रह जाएगा मगर वितरण में उनका ही दबदबा होगा। हां, इनका जबरदस्त डिजिटलीकरण हो जाएगा। आज हम पूरी मूल्य श्रृंखला में तकनीक का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। जीएसटी आने के बाद हमने अपने फुलफिलमेंट सेंटर घटा दिए। अब हम एक कारखाने में एक के बजाय कई उत्पाद बनाते हैं। हमारा डिजिटल इनोवेशन केंद्र है, जहां हमें पता चल जाता है कि कौन सा ट्रेंड भारत में कब आएगा। हम स्पष्ट हैं कि हमारा ज्यादातर वितरण अपने नेटवर्क से ही होगा और दूसरे तरीकों से उसे सहयोग मिलेगा।
यूनिलीवर के लिए रॉयल्टी क्यों बढ़ा दी?
एक ट्रेडमार्क और तकनीक के इस्तेमाल पर रॉयल्टी है और दूसरी सर्विस फीस है। सर्विस फीस यूनिलीवर से मिल रही सेवाओं के एवज में दी जाती है। अगर हम यह नहीं चुकाएंगे तो हमें सारी क्षमताएं खुद ही तैयार करनी होंगी। ट्रेडमार्क रॉयल्टी से हमें यूनिलीवर के ब्रांडों, कॉरपोरेट लोगो और तकनीक का इस्तेमाल करने को मिल जाता है। पहले यह 2.65 फीसदी थी। अब इसमें केवल 80 आधार अंक इजाफा किया गया है, जो तीन साल में होगा। इससे हमें बाजार में बढ़त मिलती है और शेयरधारकों को भी फायदा होता है।