टॉरंट (Torrent) और हिंदुजा समूह (Hinduja Group) से अग्रिम नकदी की पेशकश के बाद रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) के लेनदारों की समिति ने बोलीदाताओं के लिए ई-नीलामी के दूसरे दौर का फैसला लिया है। पहले दौर की सबसे बड़ी बोलीदाता टॉरंट ने 8,640 करोड़ रुपये की पूरी रकम अग्रिम रूप से नकद देने की पेशकश की है, वहीं हिंदुजा समूह ने नीलामी के बाद 9,000 करोड़ रुपये की पेशकश की थी।
नीलामी के बाद की गई पेशकश के चलते टॉरंट समूह एनसीएलटी गया और हिंदुजा की पेशकश पर स्थगन पाने में कामयाब रहा। हिंदुजा ने नीलामी में 8,110 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। दूसरे दौर की नीलामी 9,500 करोड़ रुपये की रिजर्व प्राइस के साथ होगा जबकि 21 दिसंबर को आयोजित पहले दौर में न्यूनतम सीमा 6,500 करोड़ रुपये रखी गई थी।
चैलेंज मैकेनिज्म के दूसरे दौर में भी बोलीदाताओं के लिए न्यूनतम नकदी पेशकश की सीमा करीब 8,000 करोड़ रुपये रह सकती है। इससे टॉरंट को 640 करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा क्योंकि कंपनी पहले ही 8,640 करोड़ रुपये पूरी तरह से नकद देने की पेशकश कर चुकी है। एक सूत्र ने यह जानकारी दी।
आरकैप की लेनदारों की समिति की बैठक 9 जनवरी सोमवार को होगी, जिसमें चैलेंज मैकेनिज्म के दूसरे दौर के प्रस्ताव पर मतदान होगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा, दूसरे दौर की नीलामी का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि टॉरंट और हिंदुजा की बोली की वाणिज्यिक व्यवहार्यता लेनदारों की समिति को स्वीकार नहीं है।
टॉरंट और आईआईएचएल की तरफ से जमा कराई गई बोली स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ताओं की तरफ से तय की गई परिसमापन कीमत व उचित मूल्य से काफी कम है। रिलायंस कैपिटल की परिसमापन कीमत करीब 13,000 करोड़ रुपये आंकी गई है जबकि उचित कीमत 17,000 करोड़ रुपये। सीओसी ने पाया कि आईआईएचएल की तरफ से 900 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी की पेशकश की गई, (जो एनपीवी का हिस्सा नहीं है), जिसका कुल मूल्यांकन में भारांक महज 30 फीसदी है।
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प्रस्तावित योजना के तहत नीलामी के नए दौर में 9,500 करोड़ रुपये के फ्लोर वैल्यू के साथ भागीदारों को पहले दौर में न्यूनतम 500 करोड़ रुपये से बोली बढ़ानी होगी। इसका मतलब यह हुआ कि पहले दौर में न्यूनतम बोली 10,000 करोड़ रुपये की होगी। बाद वाले दौर में बोलीदाताओं को बोली की रकम में न्यूनतम 250-250 करोड़ रुपये का इजाफा करना होगा। दूसरे दौर की ई-नीलामी के पात्र बोलीदाता हैं : पिछली नीलामी में सबसे बड़ी बोलीदाता टॉरंट, इंडसइंड इंटरनैशनल (हिंदुजा), कॉस्मिया पीरामल और ओकट्री।
अब ई-नीलामी का नया दौर 20 जनवरी के आसपास हो सकता है। रिलायंस कैपिटल के समाधान प्रक्रिया को पूरा करने की मौजूदा समयसीमा जनवरी है, जिसे 15 दिन और बढ़ाया जा सकता है। रिलायंस कैपिटल को नवंबर 2021 में कर्ज समाधान के लिए बेजा गया था, जब उसने 25,000 करोड़ रुपये के कर्ज भुगतान में चूक की थी।