ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (Zee Entertainment Enterprises) के प्रवर्तकों ने बाजार नियामक सेबी के आदेश के खिलाफ राहत पाने के लिए प्रतिभूति अपील पंचाट (सैट) का दरवाजा खटखटाया है। सैट इस आवेदन पर 15 जून को सुनवाई करेगा।
बाजार नियामक सेबी ने एस्सेल समूह के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और ज़ी के प्रबंध निदेशक व सीईओ पुनीत गोयनका को सूचीबद्ध फर्मों में अहम पद लेने पर रोक लगा दी है।
प्रवर्तकों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने कहा कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया क्योंकि सेबी ने अंतरिम आदेश जारी करने से पहले न तो कारण बताओ नोटिस जारी किया। उनका तर्क था कि सेबी का आदेश इस पाबंदी के क्रियान्वयन की खातिर किसी आपात स्थिति का संकेत नहीं देता।
ज़ी का शेयर हालांकि कारोबारी सत्र के निचले स्तर 182.6 रुपये से सुधरकर 0.5 फीसदी गिरावट के साथ 194 रुपये पर बंद हुआ। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि सेबी का आदेश सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के साथ कंपनी के विलय की राह में अवरोधक बनकर उभर सकता है। सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया संयुक्त इकाई होगी, जिसकी अगुआई गोयनका करेंगे।
खेतान लीगल एसोसिएट्स की पार्टनर संगीता झुनझुनवाला ने कहा, जब तक आदेश पर स्थगन नहीं मिलता, चंद्रा और गोयनका किसी सूचीबद्ध कंपनी या सहायक में निदेशक या प्रबंधकीय पदों पर काम नहीं कर सकते।
एनसीएलटी में लंबित मामले और लेनदारों के विरोध को देखते हुए सेबी का आदेश इस मामले में और देर कर सकता है। लेकिन इसके असर आगामी हफ्तों में दिखेंगे जब एनसीएलटी को इस मसले पर विचार का मौका मिलेगा जब कोई पक्षकार इसे उठाए। एनसीएलटी में विलय के मसले पर 16 जून को सुनवाई होगी।
इससे पहले कंपनी के चेयरमैन आर गोपालन ने कहा कि बोर्ड इस आदेश की समीक्षा कर रहा है। एक बयान में उन्होंने कहा कि कंपनी का निदेशक मंडल कंपनी के संस्थापक के तौर पर सुभाष चंद्रा के अहम योगदान को स्वीकारता है। साथ ही पुनीत गोयनका ने जिस तरह के नेतृत्व का प्रदर्शन किया है, वह
काफी अहम है।
ज़ी व एस्सेल समूह की अन्य फर्मों के फंड व परिसंपत्तियों की प्रवर्तकों की तरफ से कथित हेराफेरी पर सेबी ने सोमवार को अंतरिम आदेश जारी किया। बाजार नियामक सेबी ने ज़ी को अपने निदेशक मंडल के सामने यह आदेश सात दिन के भीतर रखने और चंद्रा व गोयनका को इस आरोप पर सेबी के सामने आपत्ति दर्ज करने या जवाब देने के लिए 21 दिन का समय दिया है।