अपने उपभोक्ता स्वास्थ्य सेवा कारोबार को अलग सहायक कंपनी में विभक्त करने की योजना बना रही सनोफी इंडिया (Sanofi India) को फार्मास्युटिकल ब्रांडों की तुलना में अपने उपभोक्ता ब्रांडों में तेजी से वृद्धि नजर आ रही है।
मार्केट अनुसंधान फर्म फार्मारेक एडब्ल्यूएसीएस के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल के मूविंग वार्षिक कारोबार (एमएटी) के मुकाबले अप्रैल 2023 तक एलेग्रा जैसे ब्रांड में 22.2 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। एमएटी पिछले 12 महीने के कारोबार को दर्शाता है।
पिछले साल सालाना आधार पर इसमें लगभग 24 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। इसकी तुलना में सनोफी के लोकप्रिय इंसुलिन ब्रांड लैंटस के मामले में अप्रैल 2023 के एमएटी में सालाना आधार पर 7.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है और पिछले वर्ष में इसमें केवल 3.1 प्रतिशत या इसके आसपास की वृद्धि हुई थी।
सेंट्रम ब्रोकिंग ने फरवरी में कहा था कि लैंटस को आवश्यक दवाओं की संशोधित राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) 2022 में शामिल किए जाने के बाद असर पड़ा है। लैंटस, जिसकी कीमत वर्तमान में 794 रुपये (100 आईयू 3 एमएल इंजेक्शन) है, वह इसी तरह के ब्रांडों के औसतन करीब 730 रुपये के मुकाबले कुछ अधिक दामों पर मिलती है।
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सेंट्रम ने कहा कि इसका मतलब यह है कि सनोफी को लैंटस के मूल्य निर्धारण में कम से कम आठ फीसदी का नुकसान उठाना पड़ेगा। इसी तरह सेटेपिन, एमरिल जैसे मधुमेह रोधी ब्रांडों ने पिछले कुछ वर्षों में धीमी वृद्धि दर्ज की है।
कंपनी ने अपने एंटी-माइक्रोबियल ब्रांड सोफ्रामाइसिन और एंटी-बैक्टीरियल क्रीम सोफ्राडेक्स, सोफ्राकोर्ट (जीवाणुरोधी आंख और कान की बूंदें), सोफ्रामाइसिन-ट्यूल (जीवाणुरोधी क्रीम) को भारत और श्रीलंका के बाजारों के लिए पिछले साल नवंबर में टोपिकल उत्पाद विनिर्माता एनक्यूब एथिकल्स को करीब 125 करोड़ में बेच दिया था।
हालांकि कंपनी ने मधुमेह फ्रैंचाइजी पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। सेंट्रम ने फरवरी में कहा था कि मधुमेह की सनोफी की प्रमुख चिकित्सा का अच्छा प्रदर्शन जारी रहा। राष्ट्रीय स्तर पर तौजियो इंसुलिन के लिए नए सिरे से विपणन प्रयासों की वजह से ऐसा हुआ है, जिसमें अच्छी मांग दिख रही है।