नैसडैक में सूचीबद्ध सॉफ्टवेयर ऐज अ सर्विस प्रमुख कंपनी फ्रेशवर्क्स ने अपने दो फीसदी यानी 90 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। कंपनी ने कहा कि उसने ऐसा व्यापार में वृद्धि के मद्देनजर किया है। कुल निकाले गए कर्मचारियों में से 60 कर्मचारी भारत से हैं। यह ऐलान ऐसे समय में हुआ है जब कई लीगल फर्में छंटनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा चुकी हैं या तो दर्ज कराने वाली हैं। फर्मों का आरोप है कि कंपनियां भ्रामक बयान दे रही हैं।
कंपनी ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कंपनी ने संगठनात्मक रूप से बदलाव किया है, ताकि कंपनी के भीतर बेहतर योजना लागू की जा सके। कंपनी ने अधिक महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उत्पाद, विपणन और बिक्री में कुछ मौजूदा भूमिकाओं में परिवर्तन किया है, और लगभग 2 फीसदी के कार्यबल को कम कर दिया है। फ्रेशवर्क्स ने व्यापक तौर पर कोई छंटनी नहीं की है। वर्तमान में कंपनी में कुल 5200 कर्मचारी काम करते हैं।
कंपनी के संस्थापक मुख्य कार्याधिकारी गिरीश मातृभूतम ने भी इसे कंपनी व्यापी छंटनी के बजाय इक संरचनात्मक बदलाव बताया। अपने कर्मचारियों को लिखे एक पत्र में, मातृभूतम ने कथित तौर पर कहा कि उसने अपने अधिकांश कर्मचारियों को बनाए रखा है और केवल लगभग 90 कर्मचारियों को हटा दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंपनी ने कहा कि प्रभावित कर्मचारियों को दूसरी नौकरी पाने तक फ्रेशवर्क्स द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
अमेरिकी बाजार में मंदी के बाद, भारतीय सास कंपनियों ने हाल के दिनों में नौकरी में कटौती के साथ लागत में कटौती के कई उपाय अपनाए। चार्जबी, सेल्सफोर्स और जेंडेस्क सहित इस क्षेत्र की कई अन्य कंपनियों ने भी हाल ही में छंटनी की घोषणा की थी।
यह ऐसे समय में आया है जब भारत के सास कंपनियों के पोस्टर बॉय के खिलाफ शाल लॉ फर्म और स्कॉट + स्कॉट अटॉर्नीज ऐट लॉ द्वारा मुकदमा दायर कर आरोप लगाया गया है कि कंपनी भेदभाव के आधार पर छंटनी कर रही है। अमेरिका आधारित दोनों लॉ फर्मों ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने बाजार में झूठे और भ्रामक बयान दिए।