भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की लगातार दूसरी बैठक में नीतिगत रीपो दर में कटौती और नरम रुख अपनाने का संकेत देने के बाद अरबपति कारोबारी मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज ने उस सप्ताह बाजार से सरकारी प्रतिभूतियों की भारी-भरकम खरीदारी की थी। यह खरीद इस उम्मीद में की गई कि बॉन्ड प्रतिफल में नरमी आएगी। रिजर्व बैंक के संकेत से भी आगे दरों में और कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
बाजार प्रतिभागियों के अनुसार आरआईएल ने अप्रैल के दूसरे सप्ताह में 7,000 करोड़ रुपये से लेकर 10,000 करोड़ रुपये तक के सरकारी बॉन्ड खरीदे होंगे। बाजार को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में 10 साल के बेंचमार्क सरकारी बॉन्ड की यील्ड गिरकर 6.25 फीसदी रह जाएगी।
एक बाजार भागीदार ने कहा, कॉरपोरेट खरीदारी हुई, खास तौर पर रिलायंस, जिसने 7,000 करोड़ से 10,000 करोड़ रुपये तक की खरीदारी की बताई। पॉलिसी वाले दिन उन्होंने आक्रामक तरीके से खरीदारी की। उनके बाद निजी बैंक सबसे बड़े खरीदार रहे। आरआईएल ने बिजनेस स्टैंडर्ड के ईमेल का जवाब नहीं दिया।
बेंचमार्क 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड की यील्ड कई वर्षों के निचले स्तर पर कारोबार कर रही है जो ब्याज दरों में और ज्यादा कटौती की उम्मीदों के कारण है। इस वर्ष दो अतिरिक्त कटौती की उम्मीद है। आरबीआई ने इन ब्याज दरों में कटौती का लाभ लोगों तक पहुंचाने के लिए नकदी बढ़ाने के विभिन्न उपाय भी शुरू किए हैं जिससे घरेलू ऋण बाजार में भरोसा बढ़ा है।
एक अन्य बाजार प्रतिभागी ने कहा, रिलायंस सप्ताह के दौरान सक्रिय रही। यहां तक कि उन्होंने पॉलिसी से पहले और पॉलिसी के बाद भी खरीदारी की। इसका एक जैसा कारण हो सकता है, कि यील्ड के (बेंचमार्क 10 वर्षीय बॉन्ड पर) 6.25 फीसदी तक गिरने की संभावना है। पहले यह जून के अंत में होने की उम्मीद थी, लेकिन अब यह जल्दी भी हो सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने पिछली बैठक में रीपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की थी और रुख को तटस्थ से बदलकर उदार कर दिया था। इसके अलावा, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने नीति के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि केंद्रीय बैंक अधिशेष नकदी सुनिश्चित करेगा। साथ ही उदार रुख का अर्थ यह है कि या तो यथास्थिति या दर में कटौती। इससे व्यापारियों को दर निर्धारण समिति से अधिक दर कटौती की उम्मीद हो गई है।
प्राइमरी डीलरशिप के एक डीलर ने कहा, बाजार ब्याज दरों में दो और कटौती की उम्मीद कर रहा है और ओएमओ नीलामी के कारण मौजूदा आपूर्ति-मांग तालमेल नहीं है जिससे सरकारी प्रतिभूतियों की मांग बढ़ रही है। उन्होंने कहा, वर्ष की दूसरी छमाही में आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद के साथ निवेशक अनुकूल परिस्थितियों में मुनाफावसूली की संभावना तलाश रहे हैं।
आरबीआई ने ओपन मार्केट ऑपरेशन नीलामी के जरिये अब तक 3.3 लाख करोड़ रुपये डाले हैं जबकि लॉन्ग टर्म वीआरआर नीलामी के जरिये 2.2 लाख करोड़ रुपये डाले हैं। आरबीआई के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि रविवार को बैंकिंग सिस्टम में शुद्ध तरलता 1 लाख करोड़ के अधिशेष में थी।