रूस की ऊर्जा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी रोसनेफ्ट भारत की नायरा एनर्जी में अपनी 49.13 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाह रही है मगर रूस के तेल क्षेत्र को लक्षित करने वाले यूरोपीय संघ के नए प्रतिबंधों के बाद इसमें बाधा आती दिख रही है। नायरा वाडिनार में एक ही स्थान पर भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी का संचालन करती है।
रोसनेफ्ट भारतीय उपक्रम से बाहर निकलना चाह रही है। खबरों के अनुसार नायरा एनर्जी का मूल्यांकन करीब 17 अरब डॉलर आंका गया है। रिलायंस इंडस्ट्रीज को नायरा में रोजनेफ्ट की हिस्सेदारी खरीदने की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है। हालांकि यूक्रेन पर रूस के हमलों के जवाब में पिछले हफ्ते घोषित यूरोपीय संघ के अतिरिक्त प्रतिबंध में रूसी स्वामित्व के कारण लक्षित संस्थाओं में नायरा एनर्जी भी शामिल है।
इस घटनाक्रम से वाकिफ बैंकरों ने बताया कि प्रतिबंधों से नायरा की यूरोपीय बाजार में परिष्कृत उत्पादों के निर्यात क्षमता पर असर पड़ेगा। एक बैंकर ने कहा, ‘रूसी हिस्सेदारी के कारण वैश्विक शिपिंग कंपनियों और तेल व्यापारियों के लिए खास तौर पर यूरोप में नायरा के साथ जुड़ना मुश्किल हो जाएगा और इससे कंपनी के मूल्यांकन पर असर पड़ेगा।’
ब्लूमबर्ग ने बताया कि यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के कारण आज एक तेल टैंकर ने नयारा के वडिनार बंदरगाह पर रुकने से परहेज किया जो इस रिफाइनिंग फर्म के साथ सौदा करने के लिए उद्योग की अनिच्छा को दर्शाता है। इन चुनौतियों के बावजूद नायरा किसी भी खरीदार के लिए मूल्यवान संपत्ति होगी। भारत की कुल रिफाइनिंग क्षमता में इसकी हिस्सेदारी 8 फीसदी है और यह देश के 7 फीसदी पेट्रोल पंप का संचालन करती है। इसलिए यह रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए रणनीतिक रूप से उपयुक्त है। रिलायंस सऊदी अरामको सहित अन्य निवेशकों के साथ इसकी बोली लगा सकती है। नायरा के पास खुद के तेल टर्मिनल और 1,010 मेगावाॅट का बिजली संयंत्र भी है जिससे इसे परिचालन और लागत संबंधी लाभ मिलता है।
रिलायंस अपने जामनगर परिसर में पहले से ही दो रिफाइनरियों का संचालन कर रही है। ये दोनों रिफाइनरियां मिलाकर इसे एक ही जगह पर दुनिया का सबसे बड़ा रिफाइनिंग परिसर बनाती हैं।
इस बारे में जानकारी के लिए रोसनेफ्ट और रिलायंस को ईमेल भेजा गया मगर खबर लिख जाने तक जवाब नहीं आया। सऊदी अरामको के प्रवक्ता ने भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
नायरा एनर्जी का गठन 2017 में हुआ था जब एस्सार समूह के रुइया परिवार ने एस्सार ऑयल में अपनी हिस्सेदारी रोसनेफ्ट के नेतृत्व वाले एक कंसोर्टियम को 12.9 अरब डॉलर में बेच दी थी। रोसनेफ्ट और केसनी एंटरप्राइजेज की नायरा में 49.13-49.13 फीसदी हिस्सेदारी है। केसनी एंटरप्राइजेज के शेयर वीटीबी पीजेएससी बैंक के पास गिरवी रखे हुए हैं जो प्रतिबंधों के तहत आने वाली एक अन्य रूसी संस्था है। इससे प्रस्तावित बिक्री का मामला और जटिल हो गया है।
गोल्डमैन सैक्स के एक नोट के अनुसार अनुपालन चुनौतियों के कारण यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों से डीजल आपूर्ति पर जोखिम सीमित है। मगर निकट भविष्य में परिचालन संबंधी बाधाएं चिंता का विषय हैं। सोमवार को एक बयान में नायरा ने कहा था कि आने वाले वर्षों में भारत में उसका 70,000 करोड़ रुपये का विस्तार का लक्ष्य पटरी पर है।