ब्रिटेन की एक अदालत ने विमानों को पट्टे पर देने वाली आयरलैंड की कंपनी गॉसहॉक और भारत की विमानन कंपनी स्पाइसजेट को विवाद का निपटारा आपसी मध्यस्थता में करने के लिए कहा है। हालांकि अदालत ने यह माना है कि विमानन कंपनी ने पट्टा किराया भुगतान में चूक की है। गॉसहॉक और इसके न्यासियों ने स्पाइसजेट पर करीब 1.62 करोड़ डॉलर का मुकदमा किया था क्योंकि कंपनी इतनी रकम का भुगतान करने में विफल रही थी।
अदालत के फैसले में कहा गया है कि पट्टा कंपनी को अपनी राशि का दावा करने का अधिकार है लेकिन स्पाइसजेट पर भुगतान करने के लिए किसी तरह की कार्रवाई करने से इनकार कर दिया गया। अदालत का कहना था कि इससे कंपनी दिवालिया हो सकती है, जो गॉसहॉक के हित में नहीं होगा। अदालत ने दोनों पक्षों को वैकल्पिक विवाद समाधान में जाने को कहा है।
विमानन कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि यह फैसला स्पाइसजेट जैसी विमानन कंपनियों के लिए राहत भरा है क्योंकि महामारी के कारण वह किराया नहीं चुका पा रही हैं। मगर पट्टे पर विमानन देने वाली फर्मों ने इसे निराशाजनक बताया। पट्टा फर्म के एक अधिकारी ने कहा, ‘आम तौर पर इस तरह के पट्टा अनुबंध में एक प्रावधान होता है, जिसके तहत किसी भी तरह की परिस्थिति या समस्या होने के बावजूद संबंधित कंपनी को किराया देते रहना पड़ता है। इस फैसले ने उक्त प्रावधान को दरकिनार कर विमानन कंपनी को राहत दी है।’
लंदन की अदालत के फैसले की प्रति बिजनेस स्टैंडर्ड ने भी देखी है। इसमें कहा गया है, ‘दोनों पक्षों द्वारा मध्यस्थता या वैकल्पिक विवाद समाधान करने तक सभी कार्रवाई स्थगित रहेगी।’
स्पाइसजेट ने गॉसहॉक से तीन बोइंग 737 पट्टे पर लिए थे। कोविड-19 की बंदिशों और बोइंग मैक्स 8 का परिचालन बंद होने की वजह से कंपनी उनका किराया नहीं चुका पाई और पट्टा कंपनी बकाया वसूली के लिए अदालत पहुंच गई।
वकीलों का कहना है कि विमानन कंपनियां भविष्य में चूक की स्थिति में इसे नजीर के तौर पर पेश कर सकती हैं लेकिन पट्टा कंपनी के किराया पाने के अधिकार को दरकिनार नहीं किया जा सकता।
आएनसी लीगल के चेयरमैन और मैनेजिंग पार्टनर रवि नाथ ने कहा, ‘मेरी राय में कोर्ट ने दावे को बरकरार रखा है, लेकिन अपने ही फैसले पर रोक लगाते हुए वैकल्पिक विवाद निपटान में जाने के लिए कहा है, जो दोनों पक्षों के हित में होगा। पट्टा कंपनी को लग सकता है कि उसके पास आदेश है तो उसे लागू करने पर रोक क्यों लगाई गई। विमानन कंपनी इसे नजीर बताकर अदालतों को मनाने की कोशिश भर कर सकती हैं, भारतीय अदालतें इस फैसले को उदाहरण मानने के लिए बाध्य नहीं होंगी।’
भारतीय विमानन कंपनियां दुनिया भर में पट्टा फर्मों के साथ भुगतान टालने या पट्टा अनुबंध के ढांचे में बदलाव करने के लिए बातचीत कर रही है क्योंकि महामारी के कारण कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अधिकांश कंपनियों ने पट्टा अनुबंध की शर्तें बदलवा ली हैं मगर दूसरी लहर ने भुगतान मिलने के बारे में पट्टा कंपनियों की चिंता बढ़ा दी है।
स्पाइसजेट 200 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान पर लंदन में एक और मुकदमे का सामना कर रही है।
