अनिल अंबानी की कंपनी Reliance Power अब विदेश में अपनी पहुंच बढ़ाने की तैयारी में है। कंपनी 1500 मेगावाट का गैस आधारित पावर प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना बना रही है और इसके लिए कई अंतरराष्ट्रीय टेंडर में हिस्सा ले रही है। सूत्रों के मुताबिक, रिलायंस पावर ने कुवैत, यूएई और मलेशिया में गैस आधारित पावर प्रोजेक्ट्स के लिए मजबूत बोली लगाई है। कंपनी का लक्ष्य अपनी वैश्विक विस्तार रणनीति के तहत चुनिंदा देशों में काम करना है।
हाल ही में रिलायंस पावर ने भूटान में दो बड़े प्रोजेक्ट हासिल किए हैं। इनमें 500 मेगावाट का सोलर प्रोजेक्ट और 770 मेगावाट का हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट शामिल है। अब कंपनी अंतरराष्ट्रीय टेंडर के नतीजों के आधार पर भारत में मौजूद अपने दो 750 मेगावाट के वर्ल्ड-क्लास उपकरणों को विदेश में ट्रांसफर करने की योजना बना रही है। इन उपकरणों की बिक्री से कंपनी को करीब 2000 करोड़ रुपये की कमाई होने की उम्मीद है, जो उसकी बैलेंस शीट को और मजबूत करेगा। रिलायंस पावर के एक प्रवक्ता ने वैश्विक टेंडर में भाग लेने की पुष्टि की है।
रिलायंस पावर ने पहले जनरल इलेक्ट्रिक, USA से तीन 750 मेगावाट के उपकरण आयात किए थे। इनमें से एक उपकरण बांग्लादेश में जापान की कंपनी जेरा के साथ मिलकर एक LNG आधारित पावर प्रोजेक्ट के लिए भेजा गया। अब बचे हुए दो उपकरणों को कंपनी किसी विदेशी प्रोजेक्ट में इस्तेमाल करेगी। गैस आधारित पावर, जो एक साफ ऊर्जा स्रोत माना जाता है, की मांग कुवैत, यूएई और मलेशिया जैसे देशों में काफी ज्यादा है। आमतौर पर गैस या LNG आधारित पावर प्लांट के लिए उपकरण बनाने में 3 से 5 साल लगते हैं, लेकिन रिलायंस पावर के पास पहले से 1500 मेगावाट के उपकरण तैयार हैं, जिससे वह तेजी से प्रोजेक्ट पूरा कर सकती है।
कंपनी का ध्यान अब रिन्यूएबल और साफ ऊर्जा पर है। भारत में रिलायंस पावर के पास 2.5 गीगावाट के सोलर प्रोजेक्ट्स और 2.5 गीगावाट-घंटे की बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम की मजबूत पाइपलाइन है। इसके अलावा, भूटान में 500 मेगावाट सोलर और 770 मेगावाट हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के लिए भूटान सरकार की कंपनी ड्रक होल्डिंग्स एंड इनवेस्टमेंट्स के साथ साझेदारी की है।