Reliance Capital vs Hinduja Group: कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (RCap) के कर्जदाताओं ने आरोप लगाया है कि हिंदुजा समूह की कंपनी IIHL देरी करने की रणनीति अपना रही है, जिसके चलते समाधान योजना को लागू करने में भी विलम्ब हो रहा है। दूसरी ओर हिंदुजा समूह की कंपनी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह उचित प्रक्रिया का पालन कर रही है।
मॉरीशस स्थित इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए सफल बोलीदाता के रूप में उभरी थी। NCLT की मुंबई पीठ ने 27 फरवरी, 2024 को कर्ज में डूबी वित्तीय कंपनी के लिए IIHL की 9,861 करोड़ रुपये की समाधान योजना को मंजूरी दे दी थी।
सूत्रों के अनुसार ऋणदाताओं ने दावा किया कि IIHL ने औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) से मंजूरी लेने का कदम बाद में उठाया है। उन्होंने कहा कि यह 27 फरवरी, 2024 को समाधान योजना को मंजूरी देते समय NCLT की तय शर्तों का हिस्सा भी नहीं था।
सूत्रों के अनुसार IIHL के DIPP के पास आवेदन जमा करे हुए 90 दिन बीत चुके हैं, लेकिन मंजूरी अभी भी लंबित है। IIHL के सूत्रों ने कहा, ”सभी आरोप पूरी तरह से झूठे, निराधार हैं और ये समाधान प्रक्रिया को बदनाम और बाधित करने की कोशिश है।”
कंपनी के सूत्रों ने कहा, ”सभी आरोप गलत और झूठे हैं। IIHL के लिए योजना के कार्यान्वयन में देरी करने का कोई कारण नहीं है, खासकर तब, जबकि IIHL ने पहले ही सीओसी के पास 2,750 करोड़ रुपये जमा कर दिए हैं।”
उन्होंने कहा कि आरोपों के विपरीत, यह IIHL के हित में है कि वह जल्द से जल्द समाधान योजना को पूरा कर कंपनी को अपने कब्जे में ले, ताकि दैनिक आधार पर मूल्य में हो रही कमी को रोका जा सके।
DIPP की मंजूरी इसलिए जरूरी है, क्योंकि IIHL के कुछ शेयरधारक हांगकांग के निवासी हैं, जो चीन नियंत्रित एक विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है। प्रेस नोट तीन के अनुसार यदि भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले किसी देश (चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान) की कोई इकाई, नागरिक या स्थायी निवासी भारत में निवेश करता है, तो उसे सरकार से इसके लिए मंजूरी लेनी होगी।