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आसमान में सहयोग से विमानन कंपनियों की घटी लागत

Last Updated- December 11, 2022 | 7:26 PM IST

रक्षा एवं नागरिक क्षेत्र के अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल से देश में कई हवाई मार्गों पर वाणिज्यिक विमानन कंपनियों का परिचालन संभव हो पाया है। इससे मार्ग छोटे हो गए हैं और प्रदूषण नियंत्रण के अलावा लागत में भी उल्लेखनीय कमी आई है।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के एक अधिकारी ने कहा, ‘सेना के तमाम प्रतिबंधों के कारण महज करीब 58 फीसदी भारतीय हवाई मार्ग का ही उपयोग हो रहा था। लेकिन अब करीब 70 फीसदी हवाई मार्गों का उपयोग हो रहा है।’ एएआई के अधिकारियों ने कहा कि अब तक 119 मार्गों को छोटा किया जा चुका है।
सूत्रों ने कहा कि दिसंबर 2020 के बाद विमानन कंपनियों को इससे कुल मिलाकर करीब 200 करोड़ रुपये की बचत हो चुकी है और कार्बन उत्सर्जन में करीब 45,000 टन की कमी आई है। हालांकि सरकार ने सालाना 1,000 करोड़ रुपये की बचत का लक्ष्य रखा है लेकिन वैश्विक महामारी के कारण उड़ानों की सं या में भारी गिरावट के कारण लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सका। विमानन कंपनी की परिचालन लागत में ईंधन का योगदान 35 से 40 फीसदी होता है। अधिक करों के कारण यह अन्य देशों के मुकाबले करीब 40 फीसदी अधिक महंगा है।
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच चुके हैं। ऐसे में हवाई मार्गों को छोटा होने से विमानन कंपनियों को कम खर्च करना पड़ेगा। हालांकि हवाई मार्गों के तर्कसंगत उपयोग का विचार 2014 में सामने आया था लेकिन विमानन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि सेना इसके खिलाफ थी और इसलिए 2020 तक इस संबंध में कोई खास प्रगति नहीं हो पाई थी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दबावग्रस्त विमानन क्षेत्र को राहत देने के लिए कोविड राहत उपायों के लिए सशस्त्र बलों के पास उपलब्ध हवाई मार्गों को खोलने की घोषणा की थी। विमानन क्षेत्र काफी समय से प्रोत्साहन पैकेज की मांग कर रहा था।

First Published - April 30, 2022 | 12:41 AM IST

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