आर्थिक मंदी के चलते 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से 30 से 40 हजार करोड़ रुपये कमाने की सरकार की आस अब धूमिल पड़ती दिख रही है। जानकारों के मुताबिक, वैश्विक आर्थिक मंदी ने भारी आमदनी अर्जित करने की आस धो दी है।
अब कहा जा रहा है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी से बमुश्किल 20 हजार करोड़ रुपये की कमाई हो सकेगी। एक शीर्ष ब्रोकरेज फर्म के दूरसंचार विशेषज्ञ के मुताबिक, ’30 से 40 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य अव्यावहारिक है। मंदी के दौर में संशोधित अनुमान 15 से 20 हजार करोड़ रुपये का ही है। यह लक्ष्य कहीं ज्यादा व्यावहारिक है।’
आर्थिक मंदी के चलते सरकार के लिए नीलामी का यह सही समय है। लेकिन नीलामी पूर्व सम्मेलन में विदेशी बोलीदाताओं का उत्साह कम रहने और रिजर्व प्राइस और ब्लॉक पर अनिश्चितता के चलते कम आमदनी होने की उम्मीद है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति के सामने दो विकल्प हैं। पूरे भारत के लाइसेंस के लिए मौजूदा रिजर्व प्राइस को 2,020 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4,040 करोड़ रुपये (वित्त मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित) या 3,540 करोड़ रुपये (दूरसंचार विभाग का प्रस्ताव) कर देना है।