facebookmetapixel
GST 2.0 लागू होने से पहले Mahindra, Renault व TATA ने गाड़ियों के दाम घटाए, जानें SUV और कारें कितनी सस्ती हुईसिर्फ CIBIL स्कोर नहीं, इन वजहों से भी रिजेक्ट हो सकता है आपका लोनBonus Share: अगले हफ्ते मार्केट में बोनस शेयरों की बारिश, कई बड़ी कंपनियां निवेशकों को बांटेंगी शेयरटैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR फाइल करने की आखिरी तारीख नजदीक, इन बातों का रखें ध्यानDividend Stocks: सितंबर के दूसरे हफ्ते में बरसने वाला है मुनाफा, 100 से अधिक कंपनियां बांटेंगी डिविडेंड₹30,000 से ₹50,000 कमाते हैं? ऐसे करें सेविंग और निवेश, एक्सपर्ट ने बताए गोल्डन टिप्सभारतीय IT कंपनियों को लग सकता है बड़ा झटका! आउटसोर्सिंग रोकने पर विचार कर रहे ट्रंप, लॉरा लूमर का दावाये Bank Stock कराएगा अच्छा मुनाफा! क्रेडिट ग्रोथ पर मैनेजमेंट को भरोसा; ब्रोकरेज की सलाह- ₹270 के टारगेट के लिए खरीदेंपीएम मोदी इस साल UNGA भाषण से होंगे अनुपस्थित, विदेश मंत्री जयशंकर संभालेंगे भारत की जिम्मेदारीस्विगी-जॉमैटो पर 18% GST का नया बोझ, ग्राहकों को बढ़ सकता है डिलिवरी चार्ज

मुंबई में पुनर्विकास बाजार हो रहा गुलजार! जमीन की आसमान छूती कीमतों जैसी चुनौतियों के बावजूद रियल्टी कंपनियां लगा रहीं पैसा

महिंद्रा लाइफस्पेस, टाटा प्रोजेक्ट्स, अदाणी और प्रेस्टिज समूह जैसी रियल्टी क्षेत्र की बड़ी कंपनियां शहर के क्लस्टर पुनर्विकास बाजार में कदम रख रही हैं।

Last Updated- March 03, 2025 | 10:34 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर

किरायेदारों की स्वीकृति, वित्तपोषण, नौकरशाही अड़चनों और जमीन की आसमान छूती कीमतों जैसी चुनौतियों के बावजूद मुंबई में क्लस्टर पुनर्विकास कारोबार फलफूल रहा है। महाराष्ट्र सरकार इस योजना को 2018 से बढ़ावा दे रही है, लेकिन इसने हाल ही में मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में आने वाली 13,000 पुरानी इमारतों के ऑडिट का आदेश दिया है ताकि समय पर उनके पुनर्विकास पर अमल सुनिश्चित किया जा सके। शासन का यह आदेश विकासकर्ताओं के लिए बड़ा अवसर लेकर आया है।

महिंद्रा लाइफस्पेस, टाटा प्रोजेक्ट्स, अदाणी और प्रेस्टिज समूह जैसी  रियल्टी क्षेत्र की बड़ी कंपनियां शहर के क्लस्टर पुनर्विकास बाजार में कदम रख रही हैं, जो बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) के अनुसार 30,000 करोड़ रुपये का है। मुंबई के भीड़भाड़ वाले इलाकों की छिटपुट इमारतों में छोटे-मोटे पुनर्विकास कार्यों में आने वाली तमाम चुनौतियों के बीच ये कंपनियां अब शहर के पुनर्विकास बाजार में निवेश कर रही हैं। इससे उन्हें विकसित करने के लिए न केवल अधिक जगह उपलब्ध होगी बल्कि अधिक रिटर्न भी मिलेगा।

इक्विरस में निवेश बैंकिंग के प्रबंध निदेशक विजय अग्रवाल ने कहा, ‘पुनर्विकास परियोजना में डेवलपर को ब्याज, कर, मूल्यह्रास और परिशोधन (एबिटा) मार्जिन पूर्व आय लगभग 20 से 30 प्रतिशत होती है। यह ठीक-ठाक है। संयुक्त वेंचर के मामले में मार्जिन थोड़ा घटकर 15 से 20 प्रतिशत पर आ जाता है। 

नियमों के मुताबिक, 30 साल पुरानी अथवा जीर्ण-क्षीर्ण घोषित किसी भी इमारत में पुनर्विकास कार्य किया जा सकता है। सेस्ड इमारतें पुरानी, जीर्ण-क्षीर्ण और किराएदार वाली उन इमारतों को कहा जाता है जो मुंबई में सितंबर 1969 से पहले बनी हैं और जिन पर महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण (म्हाडा) मरम्मत उपकर वसूलता है। इनमें किसी भी प्रकार से क्लस्टर पुनर्विकास के लिए कम से कम 70 प्रतिशत किरायेदारों की स्वीकृति आवश्यक होती है।

एमएमआर में सूचिबद्ध शहर की प्रमुख पुनर्विकास परियोजनाओं में कंसोर्टियम ऑफ टाटा प्रोजेक्ट्स के सहयोग से शुरू होने वाली म्हाडा की बीडीडी चॉल पुनर्विकास परियोजना, कैपिसिट इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स और सीआईटीआईसी समूह (11,744 करोड़ रुपये) तथा सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट (4,000 करोड़ रुपये) की भिंडी बाजार पुनर्विकास परियोजना शामिल है।

कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया-महाराष्ट्र चैंबर ऑफ हाउसिंग इंडस्ट्री के अध्यक्ष तथा रोमेल समूह के  निदेशक डॉमिनिक रॉमेल ने कहा, ‘गोरेगांव, भायखला, दादर और सायन में कई क्लस्टर पुनर्विकास परियोजनाएं पहले ही शुरू हो चुकी हैं।’

पुनर्विकास की जरूरत

क्लस्टर पुनर्विकास शहरी योजना रणनीति का हिस्सा होती है, जिसमें आसपास की अनेक इमारतों का एकल या संयुक्त परियोजना के रूप में विकास किया जाता है। इससे यहां रहने वालों को बेहतर सुविधाएं और रहने के लिए अधिक जगह मिल जाती है और गेट लगी सोसायटी बन जाने से सुरक्षित माहौल भी मिलता है। महाराष्ट्र में सरकार ने विकास नियंत्रण एवं संवर्धन विनियमन 2034 लागू किया है जिसके तहत 4 का उच्च फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई), ब्याज सब्सिडी और विकासकर्ता को बाजार दरों पर अपार्टमेंट बेचने जैसी छूट दी गई है। इस शहर में कम से कम 4,000 वर्ग मीटर में फैली इमारत में क्लस्टर पुनर्विकास योजना के तहत काम किया जा सकता है। उपनगर में यह क्षेत्र 6,000 वर्ग मीटर तक हो सकता है। खेतान ऐंड कंपनी में साझेदार हर्ष पारिख ने कहा, ‘शहर में छोटी इमारतों को अकेले या आसपास के भवनों को मिलाकर पुनर्विकसित करने से निवासियों को बेहतर सुविधाओं के साथ मजबूत बुनियादी ढांचा मिलता है।’

वित्त पोषण की चुनौती

आकर्षक आमदनी और लाभ होने के बावजूद  पुरानी इमारतों के विकास में पैसा, किरायेदारों की मंजूरी और परियोजनाओं का लंबे समय तक चलना जैसी बड़ी चुनौतियां आड़े आती हैं। महिंद्रा लाइफस्पेस के एमडी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमित कुमार सिन्हा ने कहा कि वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के दौरान हुई आय में हमने पाया कि यदि दो सोसायटी साथ आना चाहती हैं तो उनमें कुछ अड़चनें सामने आती हैं। महिंद्रा लाइफस्पेस बोरीवली में तीन रिहायशी इमारतों को मिलाकर एक पुनर्विकास परियोजना पर काम कर रही है। इस पर लगभग 950 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इससे पहले यह कंपनी लिविंगस्टोन इन्फ्रा के साथ साझेदारी में महालक्ष्मी में 1,650 करोड़ रुपये की लागत से क्लस्टर परियोजना तैयार कर चुकी है। नाइट फ्रैंक इंडिया में वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक गुलाम जिया कहते हैं कि किसी भी विकास परियोजना में स्वीकृति का मुद्दा सबसे बड़ी बाधा बनता है। 

वह कहते हैं, ‘कलिना, बांद्रा रिक्लेमेशन और लोखंडवाला आदि में कुछ परियोजनाएं शुरू हो रही हैं। पिछले एक दशक से इनकी प्रक्रिया चल रही है और कोई भी पूरी तरह विकसित नहीं हो पाई है।’

वैलोर एस्टेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक विनोद गोयनका कहते हैं, ‘स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी अथवा क्लस्टर पुनर्विकास के अंतर्गत काम को अंजाम तक पहुंचाना आसान नहीं है। यही वजह है कि डेलवपर आपसी सहयोग से काम करते हैं।’ इसके अलावा फंडिंग भी बड़ी चुनौती है। आर्केड डेवलपर्स के सीएमडी अमित जैन कहते हैं, ‘किरायेदारों को दूसरी जगह स्थानांतरित करना, कानूनी प्रक्रियाओं की मंजूरी और अन्य कारणों से परियोजना में देरी की चुनौती के कारण समय पर फंड का इंतजाम करना मुश्किल होता है।’ 

परियोजनाओं का तेजी से अनुमोदन

रियल्टी उद्योग से जुड़े विशेषज्ञ कहते हैं कि यदि परियोजना मंजूरी की पूरी प्रक्रिया सिंगल विंडो सिस्टम के तहत काम करने लगे तो डेवलपर्स को अनावश्यक सरकारी अड़चनों से छुटकारा मिल सकता है। इसमें बीएमसी, स्लम रिहैबिलिटेशन अथॉरिटी एवं मुंबई मेट्रोपोलिटिन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी से गुजरने वाली फाइलों को एकल विंडो सिस्टम के तहत लाया जाना चाहिए। नाइट फ्रैंक इंडिया के अनुसार पिछले वर्ष से मुंबई देश का सबसे बड़ा आवास बाजार बन कर उभरा है। इस दौरान यहां सालाना 11 प्रतिशत वृद्धि के साथ 96,187 यूनिट बिकीं। शहर में औसत आवासीय यूनिट की कीमतों में 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 

अदाणी रियल्टी के साथ मिलकर वैलोर एस्टेट 4,544 करोड़ रुपये की लागत से लक्जरी रिहायशी परियोजना टेन बीकेसी का विकास कर रही है। कंपनी ने महालक्ष्मी में भी गोदरेज प्रोपर्टीज के साथ साझेदारी में 3,600 करोड़ रुपये की परियोजना पर काम शुरू किया है। इसी इलाके में प्रेस्टिज समूल के साथ यह 600 करोड़ रुपये की एक और परियोजना चला रही है। अदाणी के समर्थन वाली नवभारत मेगा डेवलपर्स भी धारावी में झुग्गी क्लस्टर की कायाकल्प करने में जुटी है।

First Published - March 3, 2025 | 10:30 PM IST

संबंधित पोस्ट