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REITs को बूस्ट देगा रियल एस्टेट सेक्टर, 2030 तक मार्केट ₹60,000-80,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान

REITs के हॉट स्पॉट अब मेट्रो सिटी से आगे निकलकर इंदौर, कोयंबटूर, सूरत, भुवनेश्वर और चंडीगढ़ टियर-2 शहरों की ओर बढ़ रहे हैं

Last Updated- October 16, 2025 | 3:32 PM IST
REITs

Indian retail REITs Potential: भारत का रिटेल रियल एस्टेट क्षेत्र एक बड़े बदलाव के कगार पर है। इस क्षेत्र में रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REIT) यानी रीट्स के लिए काफी संभावनाएं है। हालांकि देश के रीट्स इकोसिस्टम में अभी भी कमर्शियल ऑफिस स्पेस का बोलबाला है। लेकिन रीट्स के विकास की अगली लहर रिटेल मॉल, शॉपिंग सेंटर और मिश्रित उपयोग वाले विकास क्षेत्रों से आ सकती है। गुणवत्तापूर्ण खुदरा संपत्तियों का एकीकरण, स्थिर उपभोक्ता खर्च और बढ़ती शहरी आय इस बदलाव को गति दे रही है।

भविष्य में रिटेल रीट्स मार्केट में क्या है संभावना?

एनारॉक रिसर्च के आंकड़ों का अनुमान है कि भारतीय रिटेल रीट्स मार्केट 2030 तक 60,000 से 80,000 करोड़ रुपये का मार्केट बन सकता है, जो भारत के समग्र रीट्स मार्केट का लगभग 30 से 40 फीसदी होगा। इस समय यह हिस्सेदारी 15 से 20 फीसदी है। 2030 तक समग्र रीट्स मार्केट के बढ़कर 25 अरब डॉलर (2 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है।

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एनारॉक रिटेल के सीईओ और एमडी अनुज केजरीवाल कहते हैं, “वर्तमान में भारत में लिस्टेड पांच रीट्स में से चार ऑफिस केंद्रित हैं और केवल एक नेक्सस सेलेक्ट ट्रस्ट रिटेल केंद्रित है। हालांकि ग्रेड ए मॉल अब स्थिर, आय-उत्पादक परिसंपत्तियों में परिपक्व हो रहे हैं। अगले 3-5 वर्षों में 2 से 3 रिटेल रीट्स लॉन्च होने की उम्मीद है। जिससे अगले पांच वर्षों में भारतीय रिटेल रीट्स के 60,000 से 80,000 करोड़ रुपये का मार्केट बनने की क्षमता है। अगले 5 वर्षों में टॉप 5 मॉल मालिकों का कुल संगठित स्टॉक के 60 फीसदी पर नियंत्रण होगा। नए रिटेल रीट्स मार्केट को और संस्थागत बनाएंगे।

मेट्रो सिटी से आगे उभरते रीट्स के हॉटस्पॉट

रीट्स के हॉटस्पॉट अब मेट्रो सिटी से आगे निकल रहे हैं और ये टियर-2 शहरों में प्रवेश कर रहे हैं। इंदौर, कोयंबटूर, सूरत, भुवनेश्वर और चंडीगढ़ जैसे टियर-2 शहरों में पहली बार संस्थागत खिलाड़ियों का प्रवेश हो रहा है। फीनिक्स मिल्स, प्रेस्टीज एस्टेट्स और नेक्सस मॉल्स जैसे मॉल डेवलपर इन उच्च-आय, उपभोग-आधारित क्लस्टरों में आक्रामक रूप से विस्तार कर रहे हैं। औसतन 10 से 12 लाख वर्ग फुट क्षेत्रफल वाली नई परियोजनाओं की योजना बनाई जा रही है। जिनमें मनोरंजन, खाद्य एवं पेय और लाइफस्टाइल रिटेल क्षेत्र नए मॉल क्षेत्र का लगभग आधा हिस्सा होंगे।

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बढ़ रही है मॉल में मांग

एनारॉक रिटेल की “RELEAP H1 2025” रिपोर्ट के अनुसार चालू वर्ष की पहली छमाही में टॉप 7 शहरों में 28 लाख वर्ग फुट मॉल स्पेस का निर्माण हुआ, जो 2024 की तुलना में 155 फीसदी अधिक है। मॉल में शुद्ध मांग लगभग 20 लाख वर्ग फुट थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 31 फीसदी अधिक है। यह मांग मुख्य रूप से परिधान और खाद्य एवं पेय क्षेत्रों द्वारा संचालित थी, जिनकी कुल मांग में लगभग 55 फीसदी हिस्सेदारी थी।

अनुज केजरीवाल कहते हैं, “संस्थागत परिसंपत्तियों में मांग के ये रुझान भारतीय उपभोक्ता वरीयताओं में बदलाव को दर्शाते हैं।” उन्होंने कहा कि उच्च-मूल्य उपभोग श्रेणियों में बढ़ती लोकप्रियता देखी जा रही है, जो मॉल डेवलपर और उनकी किरायेदार मिश्रण रणनीति के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है। केजरीवाल कहते हैं, “प्रमुख शहरों में हाई स्ट्रीट पर किराये में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है, जो प्राइम रिटेल लोकेशन पर अधिक फुटफॉल के साथ निरंतर बढ़ती मांग दर्शाता है।” इसके विपरीत अधिकांश शहरों में मॉल का किराया काफी हद तक स्थिर बना हुआ है।

First Published - October 16, 2025 | 2:59 PM IST

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