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Real Estate: कर छूट और ग्राहकों की जेब के बीच फंसा रियल्टी क्षेत्र

कम करों से बढ़ेगी मध्यम और किफायती घरों की मांग, 2025 की पहली तिमाही में रियल एस्टेट में इक्विटी निवेश 74% बढ़कर 2.9 अरब डॉलर पहुंचा

Last Updated- April 11, 2025 | 10:29 PM IST
Real Estate

रियल एस्टेट डेवलपर इस बात पर दांव लगा रहे हैं कि इस साल के बजट में दी गई कर राहत की घोषणाओं का लाभ रियल एस्टेट क्षेत्र को मिलेगा या नहीं। उन्हें उम्मीद है कि छूट से किफायती और मझोली श्रेणी के आवासों की मांग फिर से बढ़ेगी भले ही मकानों के बाजार में सुस्ती दिख रही हो।

उद्योग के वरिष्ठ अधिकारी और कर योजनाकारों के मुताबिक ऐसे कयास वैश्विक मंदी की आशंका के कारण भी लगाए जा रहे हैं, जिससे उपभोक्ता बचत करने या शिक्षा जैसे जरूरी खर्चों को प्राथमिकता दे सकते हैं। एंड्रोमेडा रियल्टी एडवाइजर्स की मूल कंपनी एंड्रोमेडा सेल्स ऐंड डिस्ट्रीब्यूशन के सह-मुख्य कार्य अधिकारी सुनील देवाली ने कहा, ‘कम करों के कारण जब लोगों के पास खर्च करने योग्य ज्यादा पैसा होता है तो यह अतिरिक्त रकम डाउन पेमेंट में चली जाती है जिससे ज्यादा ऋण की पात्रता बढ़ जाए या महीने की किस्त का आसानी से प्रबंध करने में मदद मिले। कई लोगों के लिए यह अतिरिक्त वित्तीय छूट घर खरीदने का भी मौका हो सकती है जिसे वे लंबे समय से टाल रहे थे।’

हालांकि, लोगों की पसंद व्यक्तिगत वित्तीय नियोजन या व्यापक बाजार धारणा पर निर्भर करेगी। लेकिन उद्योग जगत के कुछ लोगों का मानना है कि साल 2025-26 में लोग मकान खरीदने का रुख करेंगे। गुरुग्राम में मध्य आय वर्ग के लिए मकान बनाने वाली सिग्नेचर ग्लोबल के संस्थापक और चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा, ‘दो से चार करोड़ रुपये तक के मध्यम आकार के मकानों में लोगों की दिलचस्पी आने की उम्मीद है। खासकर इसमें वैसे लोग अपनी दिलचस्पी दिखाएंगे जो किफायती मकान चाहते हैं और जो हर महीने होने वाली बचत में हुए बदलाव का लाभ उठाना चाहते हैं।’ उन्होंने कहा कि कर व्यवस्था में हुए बदलाव ने लोगों की हर महीने की बचत में सुधार कर दिया है और परिवारों को अपने वित्त का जायजा लेने और मकान खरीदने पर विचार की सुविधा दी है।

रियल एस्टेट में इक्विटी निवेश 74 फीसदी बढ़ा

कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली तिमाही में रियल एस्टेट में इक्विटी निवेश एक साल पहले के मुकाबले 74 फीसदी बढ़कर 2.9 अरब डॉलर हो गया है। रियल एस्टेट कंसल्टिंग फर्म सीबीआरई साउथ एशिया की रिपोर्ट से इसका खुलासा हुआ है। पिछले साल की पहली तिमाही में यह 1.7 अरब डॉलर था।

कुल इक्विटी निवेश में बेंगलूरु, मुंबई और दिल्ली-एनसीआर की करीब 67 फीसदी हिस्सेदारी रही। एक तिमाही पहले के मुकाबले निवेश में 13 फीसदी का इजाफा हुआ है। समीक्षाधीन तिमाही के दौरान निवेश मुख्य रूप से डेवलपर गतिविधियों और रियल एस्टेट निवेश ट्रस्टों (रीट्स) और संस्थागत निवेशकों की महत्त्वपूर्ण रुचि के कारण हुआ।

भूमि या विकास स्थल और निर्मित कार्यालय परिसंपत्तियों में साल की पहली तिमाही के दौरान कुल निवेश की करीब 74 फीसदी हिस्सेदारी रही।। रीट्स से बढ़े निवेश के कारण समीक्षाधीन तिमाही में खुदरा परिसंपत्तियों की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत रही जो पिछली तिमाही के मुकाबले 13 फीसदी अधिक है।

 

First Published - April 11, 2025 | 10:29 PM IST

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