बेंगलुरु के एक प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक करने वाले ग्राहक को 5 साल बाद भी उसका घर नहीं मिला। अब कर्नाटक रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (K-RERA) ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। अथॉरिटी ने बिल्डर को ग्राहक को 2.56 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया है। शिकायतकर्ता ने अप्रैल 2015 में मंट्री वेबसिटी 2A नामक प्रोजेक्ट में एक फ्लैट बुक किया था। 17 अप्रैल 2015 को बिक्री समझौता (सेल एग्रीमेंट) हुआ, जिसमें कुल रकम 1.46 करोड़ रुपये तय हुई। इस एग्रीमेंट के अनुसार, फ्लैट की डिलिवरी 31 मार्च 2017 तक होनी थी।
ना फ्लैट मिला, ना कोई जानकारी दी गई
समय बीतता गया लेकिन न तो ग्राहक को फ्लैट मिला, न ही डिलिवरी को लेकर कोई ठोस जानकारी दी गई। शिकायतकर्ता ने इस देरी से परेशान होकर K-RERA में शिकायत दर्ज की और अपना पैसा ब्याज सहित वापस मांगा।
K-RERA ने दोनों पक्षों के दस्तावेज़ों की जांच की और पाया कि बिल्डर ने अपने वादे पूरे नहीं किए। अथॉरिटी ने कहा, “बिल्डर ने दिसंबर 2018 तक, जिसमें ग्रेस पीरियड भी शामिल था, फ्लैट देने का वादा किया था। लेकिन समझौते के 60 महीने बाद भी कब्जा नहीं दिया गया है।”
रेरा का फैसला: 60 दिनों में लौटाएं 2.56 करोड़
K-RERA ने अपने आदेश में बिल्डर को निर्देश दिया कि वह ग्राहक को कुल 2,56,47,520 रुपये लौटाए। इसमें 1.46 करोड़ की मूल राशि और 1.27 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है। रेरा ने यह भी कहा कि बिल्डर को यह रकम नोटिस की तारीख से 60 दिनों के भीतर चुकानी होगी। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो ग्राहक रेरा एक्ट की धारा 40 के तहत वसूली की कार्रवाई शुरू कर सकता है। इसमें जिले के डिप्टी कमिश्नर के जरिए जमीन के बकाया राजस्व की तरह पैसे की वसूली की जा सकती है।