facebookmetapixel
नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल का पड़ोसी दरभंगा पर कोई प्रभाव नहीं, जनता ने हालात से किया समझौताEditorial: ORS लेबल पर प्रतिबंध के बाद अन्य उत्पादों पर भी पुनर्विचार होना चाहिएनियामकीय व्यवस्था में खामियां: भारत को शक्तियों का पृथक्करण बहाल करना होगाबिहार: PM मोदी ने पेश की सुशासन की तस्वीर, लालटेन के माध्यम से विपक्षी राजद पर कसा तंज80 ही क्यों, 180 साल क्यों न जीएं, अधिकांश समस्याएं हमारे कम मानव जीवनकाल के कारण: दीपिंदर गोयलभारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार की आवश्यकता पर दिया जोरपीयूष पांडे: वह महान प्रतिभा जिसके लिए विज्ञापन का मतलब था जादूभारत पश्चिम एशिया से कच्चा तेल खरीद बढ़ाएगा, इराक, सऊदी अरब और UAE से तेल मंगाकर होगी भरपाईBlackstone 6,196.51 करोड़ रुपये के निवेश से फेडरल बैंक में 9.99 फीसदी खरीदेगी हिस्सेदारीवित्त मंत्रालय 4 नवंबर को बुलाएगा उच्चस्तरीय बैठक, IIBX के माध्यम से सोने-चांदी में व्यापार बढ़ाने पर विचार

रियल एस्टेट कंपनी के दिवालिया होने पर भी बच जाएंगे ग्राहकों को मिले मकान, IBBI ने दी राहत

12 फरवरी की अधिसूचना के जरिये IBBI ने परिसमापन प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए 12 महत्त्वपूर्ण संशोधन किए हैं।

Last Updated- February 13, 2024 | 10:21 PM IST
Safeguards for project-wise insolvency in real estate on the cards

भारतीय ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया बोर्ड (IBBI) ने मकान खरीदारों को बड़ी राहत दी है। आईबीबीआई ने परिसमापन नियमों में संशोधन करते हुए कहा है कि रियल एस्टेट परियोजना में जमीन या मकान खरीदने वाले को संपत्ति पर कब्जा दे दिया जाता है तो उस संपत्ति को परिसमापन प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा।

12 फरवरी को जारी अधिसूचना में कहा गया है, ‘धारा 36 की उप-धारा (4) के उपबंध (ई) के अनुसार कर्ज लेने वाली कंपनी ने अगर रियल एस्टेट परियोजना में ग्राहक को संपत्ति पर कब्जा दे दिया है तो उस संपत्ति को कर्जदार के परिसमापन में शामिल नहीं किया जाएगा।’

उत्तर प्रदेश के रियल एस्टेट नियमन प्राधिकरण के चेयरमैन रह चुके राजीव कुमार ने कहा, ‘नियामक का यह कदम मकान खरीदारों के हित में है। कई ऐसे मामले हैं जहां संपत्ति ऋणशोधन अक्षमता यानी इनसॉल्वेंसी में फंस गई और कब्जा नहीं मिला। आईबीबीआई को इस पर भी ध्यान देना चाहिए।’

ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया नियामक ने 7 नवंबर, 2023 को जारी परामर्श पत्र में रियल एस्टेट से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं में दिवालिया मामले में ज्यादा बोलीदाताओं को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग परियोजना के लिए दिवालिया प्रक्रिया अपनाने की बात कही।

आईबीबीआई ने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण की भूमिका बढ़ाने की भी वकालत की है। इसके लिए समाधान प्रक्रिया में जाने वाली सभी रियल एस्टेट परियोजनाओं का पंजीकरण समाधान पेशेवरों द्वारा रियल एस्टेट नियामक के पास अनिवार्य रूप से कराने का प्रस्ताव है।

रियल एस्टेट सलाहकार फर्म एनारॉक कैपिटल ने कहा कि नए संशोधन से मकान खरीदारों को काफी राहत मिलेगी। एनारॉक कैपिटल में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च ऐंड इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी) आशीष अग्रवाल ने कहा, ‘इससे मकान खरीदारों को बड़ी राहत मिलेगी और ऋणदाताओं की समिति में उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार भी होगा। समय के साथ दिवालिया प्रक्रिया में मुकदमे भी कम होंगे।’

रियल एस्टेट परियोजना पर अमिताभ कांत की अगुआई वाली समिति की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि आईबीसी में सुधार की जरूरत है ताकि रियल एस्टेट क्षेत्र की जटिलताओं का बेहतर तरीके से ध्यान रखा जा सके। रिपोर्ट में समाधान प्रक्रिया के दौरान जमीन, अपार्टमेंट या इमारत के आवंटियों को कब्जा और स्वामित्व दिए जाने का भी सुझाव दिया गया है।

12 फरवरी की अधिसूचना के जरिये आईबीबीआई ने परिसमापन प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए 12 महत्त्वपूर्ण संशोधन किए हैं। इनसे पारदर्शिता बढ़ेगी और परामर्श समिति को ज्यादा अधिकार मिलेंगे।

इसके तहत परिसमापक को निर्णय लेने से पहले प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं पर परामर्श समिति से सलाह करनी होगी। उदाहरण के लिए रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले पंजीकृत मूल्यांकनकर्ता को बताना होगा कि मूल्यांकन के लिए उसने क्या तरीका अपनाया है।

एक्विलॉ में एसोसिएट पार्टनर पीयूष अग्रवाल ने कहा, ‘इस अधिसूचना का उद्देश्य परामर्श समिति के अधिकार को और पुख्ता करना है।’

First Published - February 13, 2024 | 10:21 PM IST

संबंधित पोस्ट