भीषण गर्मी में मजदूरों के पलायन और कोविड-19 संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए हो रहे एहतियाती उपायों के कारण रियल एस्टेट परियोजनाओं में कम से कम 6 सप्ताहों की देरी हो सकती है। विनिर्माताओं (डेवलपर) का कहना है कि फिलहाल जो हालात दिख रहे हैं उनमें परियोजनाओं में देरी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि विनिर्माताओं ने यह भी कहा वे इस दोहरी समस्या से निपटने के लिए तकनीक की मदद ले रहे हैं और नए कौशल विकसित कर रहे हैं।
दिल्ली-एनसीआर की रियल एस्टेट कंपनी उनिनव डेवलपर्स के निदेशक अनूप गर्ग ने कहा कि रियल एस्टेट पिछले कुछ समय से हुनरमंद मजदूरों की कमी से जूझ रहा है। गर्ग ने कहा कि गर्मी की शुरुआत और देश में कोविड-19 संक्रमण के एक बार फिर सिर उठाने से परियोजनाओं के समय पर पूरी करने की राह में बाधा आ रही है।
उन्होंने कहा, ‘हमने देखा है कि गर्मी में अक्सर हुनरमंद मजदूर अपने मूल स्थानों को लौट जाते हैं। अत्यधिक गर्मी या कृषि कार्य आदि इसके कारण होते हैं।‘
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) की रियल एस्टेट समिति के अध्यक्ष, बीसीडी ग्रुप में उपाध्यक्ष एवं नैशनल एसोसिएशन फॉर रियल्टर्स के सलाहकार अशविंदर सिंह ने कहा कि अत्यधिक गर्मी और कोविड संक्रमण मजदूरों की उपलब्धता कम कर सकते हैं मगर जो लोग अपनी परियोजनाओं के लिए ठीक से योजना बनाते हैं उन्हें कोई खास दिक्कत नहीं होती है। भारत में 8 जून तक कोविड के 6,133 सक्रिय मामले थे। 28 अप्रैल को सक्रिय मामलों की संख्या महज 28 थी। गर्ग ने कहा कि इस मौसमी पलायन और कोविड संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए किए जा रहे एहतियाती उपायों से कुछ परियोजनाओं में तीन से छह हफ्तों की देरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि उन परियोजनाओं पर अधिक असर होगा जो फिलहाल निर्माण के चरण में हैं।
विनिर्माताओं ने आधुनिक निर्माण तकनीकों में भी निवेश करना शुरू कर दिया है। मसलन वे प्रीकास्ट बिल्डिंग मटीरियल्स, एल्युमीनियम फ्रेमवर्क और कुछ हद तक 3डी प्रिटिंग तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे परियोजना स्थलों पर हुनरमंद लोगों पर निर्भरता कम करने के लिए ये कदम उठा रहे हैं।
कैपेसाइट इन्फ्राप्रोजेक्ट्स में पूर्णकालिक निदेशक सुबीर मल्होत्रा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अब हम तकनीक आधारित उपायों जैसे सिस्टम फॉर्मवर्क पर अधिक जोर दे रहे हैं। यह फैक्ट्री में तैयार और एक निश्चित आकार में ढले एल्युमीनियम या स्टील खरीदने जैसा है जिसके इस्तेमाल से हमारे लिए मजदूरों की जरूरत कम हो जाती है। निर्माण की इस विधि में हल्के, दोबारा इस्तेमाल होने वाले एल्युमीनियम पैनल का इस्तेमाल होता है जिनसे विभिन्न ढांचों को शक्ल देने में मदद मिलती है।‘
मल्होत्रा ने कहा कि फिलहाल कैपेसाइट के पास 3 लाख वर्गमीटर सिस्टम फॉर्मवर्क उपलब्ध हैं जिनका इस्तेमाल वे अपने हरेक परियोजना स्थलों पर कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इससे श्रमिकों की कमी से निपटने में हमें मदद मिल रही है। इन दिनों उद्योग जगत में मजदूरों की कमी देखी जा रही है।‘
गर्ग ने कहा कि नियंत्रित वातावरण में तैयार प्रीकास्ट एलिमेंट्स न केवल रफ्तार एवं सुनिश्चितता बढ़ाते हैं बल्कि तुलनात्मक रूप से छोटे एवं अधिक सक्षम टीमों के साथ काम करने में भी मदद करते हैं।
वीवीआईपी ग्रुप में बिक्री एवं विपणन प्रमुख उमेश राठौर ने कहा कि परियोजनाओं में देरी की आशंका खत्म करने के लिए वे त्वरित निर्माण विधियों जैसे एल्युमीनियम फॉर्मवर्क शटरिंग का सहारा ले रहे हैं। राठौर ने कहा कि इन विधियों के इस्तेमाल से मजदूरों की कमी की भरपाई हो जाती है और परियोजनाएं पूरी होने की गति भी तेज हो जाती है।
सिंह ने कहा कि रियल एस्टेट उद्योग में बड़े एवं गंभीर विनिर्माता अब परियोजनाओं के क्रियान्वयन को सटीक तरीके से आगे बढ़ाने की कला सीख गए हैं। उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट उद्योग भी श्रमिक आधारित ढांचे से नियंत्रित निर्माण विधियों की तरफ कदम बढ़ा रहा है।