टाटा मोटर्स की सस्ती कार नैनो के गुजरात में आने का ऐलान क्या हुआ, राजकोट में कारोबारियों की बांछें खिल गईं। खास तौर पर वाहनों के पुर्जे बनाने वाली कंपनियां इस खबर पर खासी खुशियां मना रही हैं।
दरअसल राजकोट की कई कंपनियां नैनो के लिए पुर्जों की आपूर्ति करने वाली थीं। जैसे ही रतन टाटा ने अहमदाबाद के नजदीक साणंद में नैनो का संयंत्र लगाने के लिए समझौते पर दस्तखत किए, इन कंपनियों ने भी इसी जगह पुर्जों की इकाइयां लगाने की योजना बना ली।
माना जा रहा है कि इससे टाटा मोटर्स को भी फायदा होगा और आपूर्तिकर्ताओं को भी क्योंकि नैनो संयंत्र के नजदीक ही पुर्जा इकाइयां होने से लागत कम हो जाएगी। टाटा मोटर्स, मारुति सुजुकी, अशोक लीलैंड, फिएट, आयशर और मित्सुबिशी को पुर्जों की आपूर्ति करने वाली कंपनी भवानी इंडस्ट्रीज को भी इस समझौते से काफी उम्मीदें हैं।
भवानी के प्रबंध निदेशक हिमांशु नंदसाणा ने कहा, ‘नैनो कार के लिए वाहन पुर्जों की आपूर्ति करने वाली राजकोट की कई कंपनियां अब साणंद में नैनो संयंत्र के पास ही अपनी इकाइयां लगाने की योजना बनाने लगी हैं।
नैनो के कारखाने के नजदीक ही अपनी इकाइयां लगाना कारोबारी लिहाज से काफी अच्छा कदम होगा क्योंकि इससे ढुलाई और गोदाम की लागत में अच्छी खासी कमी आ जाएगी। साणंद में नई इकाई लगाने पर तकरीबन 10 करोड़ रुपये की लागत आएगी।’
राजकोट गुजरात में वाहन और वाहन पुर्जों के केंद्र के रूप में मशहूर है क्योंकि यहां तकरीबन 40-50 बड़ी और 250 से भी ज्यादा छोटी ऐसी कंपनियां हैं, जो देश-विदेश की नामी वाहन कंपनियों के लिए पुर्जे बनाती हैं।
फिलहाल राजकोट में वाहन उद्योग के लिए 300 से भी ज्यादा किस्म के पुर्जे बनाए जाते हैं और इस उद्योग में लगभग 20,000 लोगों को रोजगार मिला हुआ है। यहां की कंपनियों को फायदा है कि उनके कारखानों में गुणवत्ता वाले उत्पाद कम लागत पर बनाए जाते हैं।
राजकोट ऑटोमोबाइल डीलर्स संघ के अध्यक्ष रमणीकभाई जसानी ने कहा, ‘नैनो का संयंत्र शुरू होने के बाद राजकोट के ऑटोमोबाइल उद्योग में 30 से 40 फीसद की दर से इजाफा होने की उम्मीद है। गुजरात में ऑटोमोबाइल उद्योग का कारोबार लगभग 13,000 से 15,000 करोड़ रुपये का है और इसमें 40 फीसद हिस्सेदारी राजकोट की है।’
टाटा की नैनो को पुर्जों की आपूर्ति करने वाली प्रमुख कंपनी अमूल इंडस्ट्री फिलहाल राजकोट से ही पुर्जे भेज रही है। लेकिन उसके इरादे भी अब बदल रहे हैं और साणंद उसे भी फायदेमंद दिख रहा है।
कंपनी के अधिकारियों ने कहा, ‘हर हाल में हम भी साणंद जाने के बारे में सोचेंगे। हमारे पास प्रशिक्षित कर्मचारी हैं और गुजरात में किसी भी जगह नई इकाई शुरू करने में हमें किसी तरह की मुश्किल नहीं होगी।’