चीन की शांघाई इलेक्ट्रिक पावर कंपनी के साथ 129 अरब रुपये के संयुक्त उपक्रम की योजना बना रही अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस इन्फ्रा (आर-इन्फ्रा) देश में विद्युत सेवाएं मुहैया कराने के लिए इस चीनी भागीदार के साथ चार और साझा उपक्रम तैयार करेगी।
कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि ये सेवाएं तकनीकी और डिजाइन, संचालन और रखरखाव, बिक्री के बाद की सेवाएं और विद्युत उपकरणों के निर्माण क्षेत्रों से जुड़ी होंगी और इन पर संयुक्त रूप से 1720 से 2580 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा और इससे 400 लोगों को रोजगार मिलेगा।
अधिकारी ने कहा, ‘भारत ने अगले पांच सालों में 78,000 मेगावाट की विद्युत क्षमता जोड़ने की योजना बनाई है। हमारे पास विद्युत संयंत्रों को स्थापित करने और उन्हें चलाने के लिए कुशल श्रम और दक्षता का अभाव है। इन संयुक्त उपक्रमों का उद्देश्य इस अभाव को दूर करना है। इसके अलावा हम इन संयुक्त उपक्रमों को आर-इन्फ्रा के लिए संभावित नए व्यावसायिक अवसरों के रूप में भी देख रहे हैं।’ इन संयुक्त उपक्रमों में रिलायंस-एडीएजी की संभावित हिस्सेदारी की जानकारी अभी नहीं मिल पाई है।
यह अनुमान लगाया गया है कि चीन की विद्युत उपकरण निर्माता कंपनियों ने भारत में स्थापित की जाने वाली नई ताप विद्युत परियोजनाओं में से 20 फीसदी या तकरीबन 16,000 मेगावाट की परियोजनाओं के ठेके हासिल कर लिए हैं। आर-इन्फ्रा के एक अधिकारी के मुताबिक चीनी कंपनियां विद्युत संयंत्रों के निर्माण के लिए एक अलग तकनीकी शैली और डिजाइन का इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने कहा कि विद्युत संयंत्रों के निर्माण और इनके रखरखाव के लिए चीन के कुशल श्रमिकों और विशेषज्ञों की जरूरत है। शांघाई इलेक्ट्रिक के साथ आर-इन्फ्रा पहले से ही काम कर रही है।
शंघाई इलेक्ट्रिक ने इसके 500 मेगावाट क्षमता वाले दहाणु ताप विद्युत संयंत्र और हाल ही में शुरू हुई यमुना नगर परियोजना के लिए उपकरणों की आपूर्ति की है। इस उद्योग के जानकारों का कहना है कि इस कदम से गुणवत्ता और बिक्री के बाद की चिंताओं को दूर करने में भी मदद मिल सकती है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) चीनी कंपनियों की ओर से उपकरणों की आपूर्ति की गुणवत्ता और उपयुक्तता की जांच के लिए एक तकनीकी समिति का गठन पहले ही किया जा चुका है।