पिछले सप्ताह डालमिया भारत ने सालाना 60 लाख टन की नई क्षमताएं जोड़ने के लिए 3,520 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना का ऐलान किया था। कंपनी के मुख्य कार्य अधिकारी और प्रबंध निदेशक पुनीत डालमिया ने वर्चुअल बातचीत में अमृता पिल्लै को बताया कि कंपनी लंबी अवधि में इस क्षेत्र को लेकर आशावादी है, भले ही लघु अवधि में मार्जिन कमजोर रहे। प्रमुख अंश …
हम इसे चरणबद्ध तरीके से करेंगे तथा जैसे भी और जब भी हम तैयार होंगे, हम इसकी घोषणा करते रहेंगे। 3,520 करोड़ रुपये के हालिया पूंजीगत व्यय से हम भारत के पश्चिमी भाग, जो महाराष्ट्र, गोवा और उत्तरी कर्नाटक है, को आपूर्ति के लिए क्षमताएं जोड़ेंगे। यह देशव्यापी भारतीय कंपनी बनने के हमारे रणनीतिक दृष्टिकोण के अनुरूप है। पश्चिम भारत में हमारी मौजूदगी कम है।
हम भारत की विकास गाथा में दीर्घकालिक विश्वास रखने वाले हैं। सीमेंट की मांग के चार बड़े चालक-आवास, बुनियादी ढांचा, निजी पूंजीगत व्यय और संगठित रियल एस्टेट हैं तथा ये संरचनात्मक रूप से कई दशकों तक बने रहेंगे। अगर भारत प्रति वर्ष 6 से 7 प्रतिशत की दर से बढ़ता है तो सीमेंट की मांग प्रति वर्ष 7 से 8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 4 से 5 प्रतिशत रहने की संभावना है। हमने दो तिमाहियां गंवा दीं, क्योंकि पहले चुनाव थे और फिर अत्यधिक बारिश।
जब हम पूंजीगत निवेश करते हैं, तो हमारा दीर्घकालिक दृष्टिकोण होती है। हमें लगता है कि इस उद्योग में समय के साथ-साथ तेजी से एकीकरण की संभावना है। अधिकांश वृद्धिशील मांग शीर्ष चार कंपनियों ने हासिल कर ली। मजबूती की इस कहानी की रफ्तार बढ़ने की संभावना है और इससे समय के साथ-साथ बेहतर मूल्य निर्धारण शक्ति मिलेगी। कम मांग और बाजार हिस्सेदारी तथा वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करने से अल्पावधि में फिलहाल तीव्र प्रतिस्पर्धा है और मार्जिन कम है, लेकिन यह एक चक्रीय कारोबार है और समय के साथ मार्जिन धीरे-धीरे सुधरेगा।
हमारा क्षमता उपयोग अभी 68 प्रतिशत है और हम उसे बढ़ाना चाहेंगे तथा कुछ समय के लिए अपनी क्षमता उपयोगिता में वृद्धि करना चाहेंगे।
हम मौजूदा कारोबार और अधिग्रहण दोनों पर विचार करेंगे, बशर्ते कि यह किसी रणनीति में सटीक बैठे और बशर्ते यह सही कीमत पर उपलब्ध हो तथा अभी तक हम मौजूदा कारोबार को बढ़ाने की कार्य योजना का ऐलान कर रहे हैं तथा मूल योजना विस्तार ही रहेगी।
मैं सतर्कता के साथ आशावादी हूं। मैं केवल इतना ही कहूंगा कि मैं तिमाही या वार्षिक अनुमान लगाने वाले कारोबार में नहीं हूं। मेरी निवेश रणनीति दीर्घकालिक दृष्टिकोण से तय होती है। अल्पकाल में मेरे लिए यह देखना मुश्किल है कि क्या होने वाला है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर व्यापक आर्थिक हालात काफी अस्थिर हैं। भू-राजनीतिक जोखिम है।