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प्राइस वाटरहाउस का भी रिकॉर्ड है दागदार

Last Updated- December 09, 2022 | 8:53 PM IST

सत्यम के बहीखातों का ऑडिट करने वाली कंपनी प्राइस वाटरहाउस (पीडब्ल्यू) का पिछला रिकॉर्ड भी अच्छा नहीं रहा है। क र हेरा-फेरी के दो मामलों में पहले भी पीडब्ल्यू का नाम आ चुका है।


इन मामलों में कंपनी ने कर बचाने के लिए ऑडिट में अनियमितता बरतने की बात स्वीकार की थी। कर विभाग और सेवा कर विभाग ने ऑडिटिंग कंपनी द्वारा की गई हेरा-फेरी को पकड़ा था।

इसके बाद  पीडब्ल्यू को दोनों विभागों के सामने बहीखातों में छेड़छाड़ की बात स्वीकार करने के साथ ही ब्याज और पेनल्टी के साथ कर चुकाना पड़ा था।

राजस्व विभाग के अधिकारी ने बताया, ‘बात यह नहीं है कि कितने रु पये की हेरा-फेरी की गई। चिंता की बात यह है कि ऑडिटिंग सेवाएं और कर सलाह मुहैया कराने वाली एक बड़ी ऑडिटिंग कंपनी भी कर की हेरा-फेरी और धोखाधड़ी में शामिल है।’

पीडब्ल्यू के  खिलाफ सबसे पहले भविष्य निधि के आंकड़े छिपाने और इस पर कर नहीं देने के मामले में दोषी पाया गया था। इससे सरकार को 9.13 लाख रुपये का कर घाटा हुआ था। कर विभाग के मुताबिक पीडब्ल्यू ने 2001-02 में भविष्य निधि पर दी गई छूट के आंकड़े को टैक्स रिटर्न के साथ नहीं भरा था।

अप्रैल 2007 में कर विभाग ने कंपनी के खिलाफ 2001-02 में कर हेराफेरी का मामला दायर किया था। तब कंपनी ने किसी भी तरह की कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए अपनी गलती मान ली थी। कंपनी ने कहा था, ‘यह गलती इंसानी लापरवाही के कारण हुई थी। लेकिन फिर भी हम इस गलती के लिए माफी मांगते हैं।’

दूसरे मामले में सेवा कर विभाग की दिल्ली शाखा ने साल 2007 में कंपनी द्वारा की गई कर चोरी को पकड़ा था। कंपनी ने कई खर्चों के तौर पर बड़ी रकम दिखा रखी थी। जांच में पाया गया कि कंपनी ने विदेश में समूह की प्रमुख कंपनी को अच्छी खासी रकम जमा की थी। लेकिन इस रकम पर सेवा कर नहीं भरा गया था।

कर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘कंपनी ने अपनी इस गलती को स्वीकार किया था और ब्याज और पेनल्टी के साथ पूरी रकम चुकाई थी। इन सबक ो मिलाकर यह आंकड़ा कई करोड़ रुपये हो गया था।’

First Published - January 9, 2009 | 12:00 AM IST

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