एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ जुड़ने और भारत के विकास दृष्टिकोण के समर्थन के लिए मूल्य केंद्रित मॉडल से हटकर गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धात्मकता और प्रौद्योगिकी अपनाने पर आधारित मॉडल अपनाना होगा।
नई दिल्ली में आयोजित सीआईआई एमएसएमई ग्रोथ समिट 2025 में एमएसएमई मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और विकास आयुक्त डॉ रजनीश ने कहा, ‘एमएसएमई विकास के सच्चे इंजन हैं। जीडीपी में इनकी 30 प्रतिशत से अधिक और निर्यात में 45 प्रतिशत हिस्सेदारी है। देश के 28 करोड़ से ज्यादा लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है। खासकर छोटे व मझोले शहरों में एमएसएमई बड़े पैमाने पर रोजगार दे रहे हैं। इनकी मजबूती के कारण महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी से रिकवरी हुई। विकसित भारत के विजन में इनकी केंद्रीय भूमिका है।’
मंत्रालय ने पिछले 3 साल में 6.4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की ऋण गारंटी सुविधा दी है और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए100 टेक्नोलॉजी सेंटर स्थापित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है। डॉ रजनीश ने कहा, ‘विकसित भारत के विजन में शामिल होने के लिए एमएसएमई को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से जुड़ने की जरूरत है।’
सीआईआई नैशनल एमएसएमई काउंसिल के चेयरमैन और राजरत्न ग्लोबल वायर लिमिटेड के सीएमडी सुनील चोरडिया ने कहा कि लागत प्रभावी उद्योग 4.0 की स्वीकार्यता के लिए स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर प्रतिस्पर्धात्मकता के मुख्य चालक होंगे।