सत्यम के निदेशक मंडल के पूर्व सदस्य टी आर प्रसाद ने कहा है कि वह जांच में एजेंसियों का साथ देंगे। प्रसाद ने कहा कि एक स्वतंत्र निदेशक होने के नाते उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है।
माना जा रहा था कि उन्हें भी धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है। बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में उन्होंने बताया, ‘मैंने टीवी पर मुझे गिरफ्तार करने की आशंका के बारे में सुना। लेकिन अभी तक किसी भी जांच एजेंसी ने मुझसे इस बारे में संपर्क नहीं किया है।
अगर किसी न्यूज चैनल ने उस जांच एजेंसी का नाम बता दिया होता तो मैं ही उनके पास चला जाता। पूर्व केंद्रीय सचिव होने के नाते मैं एक भारतीय नागरिक के कर्तव्य और दायित्व को अच्छे तरीके से समझता हूं। इसीलिए मैं जांच एजेंसियों की सहायता और न्यायालय का आदेश मानने के लिए पूरी तरह तैयार हूं।’
उन्होंने कहा, ‘मेरे पास खुद को निर्दोष साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। निदेशक के पद पर रहते हुए मैंने सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार ही अपनी जिम्मेदारियां पूरी ईमानदारी से निभाई हैं।’
प्रसाद ने कल ही जीएमआर समूह क ी दो कंपनियों के निदेशक मंडल से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा उन्होंने टीवीएस मोटर्स के साथ ही कई और कंपनियों के निदेशक मंडल से भी इस्तीफा दे दिया है।
पिछले साल दिसंबर में सत्यम द्वारा मायटास को खरीदने की कोशिश के बाद से ही पूर्व कें द्रीय सचिव की मुसीबत शुरू हो गई थी। हालांकि इस कोशिश पर निवेशकों के विरोध को देखते हुए कुछ ही घंटों में विराम भी लग गया था।
इस कारण ही पिछले 15 दिनों में कंपनी के निदेशक मंडल में मौजूद 6 स्वतंत्र निदेशकों में से 4 ने इस्तीफा दे दिया था। मंगलम श्रीनिवासन ने सबसे पहले इस्तीफा दिया था। उनके बाद कृष्णा पलेपू, विनोद धाम और एम राममोहन राव ने भी इस्तीफा दे दिया था।
हालांकि सत्यम को कुछ राहत तब मिली थी जब टी आर प्रसाद ने यह बयान दिया था, ‘इस समय कंपनी का साथ छोड़ने का मतलब है डूबते हुए जहाज को छोड़ना।’ लेकिन इसके बाद आए राजू के बयान के बाद से कंपनी के हालात काफी खराब हो गए।