Building construction new technology: केंद्र सरकार सरकारी भवन निर्माण में आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने पर जोर देने जा रही है। इसके तहत केंद्रीय एजेंसियों द्वारा सरकारी भवन निर्माण में परंपरागत की बजाय नई आधुनिक तकनीक से निर्माण करने की नीति बनाई जा सकती है। इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार करने की तैयारी हो रही है।
रियल एस्टेट उद्योग संगठन क्रेडाई द्वारा आयोजित ‘conference on ‘Adoption of New and Emerging Building Materials and Technologies in Construction Industry’ कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय आवास व शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव मनोज जोशी ने कहा कि केंद्र सरकार की 6 शहरों में लाइट हाउस परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें विभिन्न नई आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। जैसे चेन्नई में प्री फेब्रिकेटेड स्ट्रक्चर, राजकोट में टनल फॉर्म स्ट्रक्चर, अगरतला में स्टील स्ट्रक्चर आदि।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कैबिनेट बैठक में कहा था कि इन आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल को बिल्डर व आम जन के बीच बढ़ावा देना चाहिए। इसलिए विभाग एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसमें आगे केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD)और राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड (NBCC) जितने भी सरकारी भवन बनाएं, उनमें आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करें।
इस प्रस्ताव को केंद्रीय आवास व शहरी विकास मंत्री के सामने रखा जाएगा और हम चाहेंगे कि सरकार ऐसी नीति बनाए जिसमें भवन निर्माण में परंपरागत की बजाय आधुनिक नई तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए। जोशी कहते हैं कि केंद्रीय एजेंसियों के ऐसा करने से आगे चलकर राज्य सरकार की भवन निर्माण एजेंसियों द्वारा भी भवन निर्माण में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने की उम्मीद की जा सकती है।
जोशी ने कहा कि निजी क्षेत्र में मेट्रो शहरों में व्यवसायिक भवन, ऑफिस, आवास में आधुनिक तकनीक का काफी इस्तेमाल होने लगा है। लेकिन छोटे शहरों में इनका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। इसलिए इन शहरों में निजी क्षेत्र की निर्माण गतिविधियों में भी आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर देने की जरूरत है। इससे भवन बनाने में कम समय लगने के साथ ही लागत में भी कमी आएगी। साथ ही भवन निर्माण में पत्थर, रेत, मिट्टी, ईंट आदि के इस्तेमाल के कारण प्राकृतिक संसाधनों को होने वाले नुकसान से भी बचा जा सकता है।
केंद्रीय आवास व शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि निर्माण उद्योग में नई अत्याधुनिक तकनीक पर बल देने की आवश्यकता है। मंत्रालय ने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज के तहत दुनिया भर से 54 नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों को शॉर्टलिस्ट किया है और चेन्नई, राजकोट, इंदौर, लखनऊ, रांची और अगरतला में 6 लाइट हाउस परियोजनाओं का चयन किया गया है। जिसके तहत आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर 6,368 घर बनाए जा रहे हैं।
इन नई तकनीक के कई लाभ हैं जैसे निर्माण समय में 50 प्रतिशत की कमी, सीमेंट की 15-20 प्रतिशत की बचत, निर्माण अपशिष्ट में 20 प्रतिशत की कमी, ऊर्जा में 20 प्रतिशत की कमी, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 35 फीसदी कमी के साथ ही निर्माण लागत में 10 से 20 फीसदी कमी आदि।
पुरी ने कहा कि देश में वर्ष 2030 तक शहरी आबादी 60 करोड़ हो जाएगी और GDP में इसका योगदान 70 फीसदी होगा। ऐसे में अगले दो दशक के दौरान रियल एस्टेट क्षेत्र में कारोबार के काफी अवसर हैं। पुरी ने कहा कि पीएम आवास योजना के तहत 1.18 करोड़ से अधिक मकानों को मंजूरी दी गई है। इनमें से 1.13 करोड़ घरों का काम शुरू हो चुका है और 76 लाख से ज्यादा घर लाभार्थियों तक पहुंचा दिए गए हैं। 43.3 लाख घरों का निर्माण टिकाऊ निर्माण सामग्री जैसे फ्लाई ऐश ईंटों/ब्लॉक और एएसी ब्लॉक का उपयोग करके किया जा रहा है। ये घर दिसंबर 2024 के अंत तक 90 लाख टन CO2 उत्सर्जन में कमी लाने में योगदान देंगे।
इस कार्यक्रम में क्रेडाई के चेयरमैन मनोज गौर और अध्यक्ष बोमन ईरानी सहित उद्योग प्रतिनिधियों ने रियल एस्टेट क्षेत्र इस्तेमाल हो रही नई आधुनिक तकनीक पर चर्चा की। रियल एस्टेट उद्यमियों ने इन नई आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार से आर्थिक मदद जैसे रियायती दर पर कर्ज, मशीनों के आयात पर शुल्क कटौती और कुछ समय के लिए कर छूट आदि की मांग की है।