फार्मास्युटिक्लस एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (Pharmexcil) ने शुक्रवार को तत्काल प्रभाव से मैरियन बायोटेक की सदस्यता निलंबित कर दी है। आरोप है कि नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक की दवा से उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत का मामला जुड़ा हुआ है। सदस्यता निलंबित किए जाने के कारण कंपनी बाजार तक पहुंच की पहल योजना के अयोग्य हो गई है।
हालांकि टोफलर के आंकड़े दर्शाते हैं कि नोएडा स्थित इस कंपनी ने बीते चार-पांच सालों में जोरदार ढंग से राजस्व और लाभ कमाया है। वित्तीय वर्ष 22 में टोफलर के आंकड़े के अनुसार मैरियन बायोटेक का संचालन राजस्व 93.11 करोड़ रुपये रहा। इसका एबिटा 32.13 करोड़ और कर की अदायगी के बाद लाभ 21.13 करोड़ रुपये रहा। इसका शुद्ध मार्जिन 22.15 फीसदी रहा है। आंकड़ों के अनुसार बीते साल की तुलना में वित्तीय वर्ष 22 में संचालन राजस्व में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि इसका लाभ 16.6 फीसदी बढ़ा।
इस कंपनी के प्रवर्तक व निदेशक सचिन जैन हैं। वित्तीय वर्ष 18 से राजस्व 75 फीसदी बढ़कर 53.37 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि वित्तीय वर्ष 18 से लाभ सात गुना बढ़ा। यह वित्तीय वर्ष के 3.15 करोड़ रुपये से बढ़कर 21.13 करोड़ रुपये हो गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सुबह ट्वीट किया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रक संगठन (सीडीएससीओ) के दल ने खांसी के सिरप डॉक 1 मैक्स की मिलावट की रिपोर्ट के बाद इकाई का दौरा किया।
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नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक के संयंत्र में बीती रात से उत्पादन रोक दिया गया है। इस मामले में आगे जांच जारी है। फार्मएक्सल ने कहा कि कंपनी ने उज्बेकिस्तान में खांसी की दवा से बच्चों की कथित मौत के मामले में जवाब दाखिल नहीं किया। लिहाजा फार्मएक्सल से मैरियन बायोटेक की सदस्यता निलंबित कर दी गई है। फार्माएक्सिल ने मैरियन बायोटेक को भेजे नोटिस में कहा,’उज्बेकिस्तान में भारतीय दूतावास और मीडिया रिपोर्ट से हमें जानकारी मिली है कि समरकंद में डॉक 1 मैक्स की गोलियां खाने के बाद 18 बच्चों की मौत हुई।