facebookmetapixel
कृषि को लाभदायक बिजनेस बनाने के लिए ज्यादा ऑटोमेशन की आवश्यकताQ2 Results: टाटा स्टील के मुनाफे में 272% की उछाल, जानें स्पाइसजेट और अशोक लीलैंड समेत अन्य कंपनियों का कैसा रहा रिजल्टसेबी में बड़े बदलाव की तैयारी: हितों के टकराव और खुलासे के नियम होंगे कड़े, अधिकारियों को बतानी होगी संप​त्ति!Editorial: आरबीआई बॉन्ड यील्ड को लेकर सतर्कनिर्यातकों को मिली बड़ी राहत, कैबिनेट ने ₹45,060 करोड़ की दो योजनाओं को दी मंजूरीसीतारमण का आठवां बजट राजकोषीय अनुशासन से समझौता नहीं कर सकताटाटा मोटर्स की कमर्शियल व्हीकल कंपनी की बीएसई पर हुई लिस्टिंग, न्यू एनर्जी और इलेक्ट्रिफिकेशन पर फोकसग्लोबल एआई और सेमीकंडक्टर शेयरों में बुलबुले का खतरा, निवेशकों की नजर अब भारत परसेबी की चेतावनी का असर: डिजिटल गोल्ड बेचने वाले प्लेटफॉर्मों से निवेशकों की बड़ी निकासी, 3 गुना बढ़ी रिडेम्पशन रेटप्रदूषण से बचाव के लिए नए दिशानिर्देश, राज्यों में चेस्ट क्लीनिक स्थापित करने के निर्देश

पेट्रोनेट को भाया ऑस्ट्रेलिया

Last Updated- December 05, 2022 | 7:15 PM IST

तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी)खरीदने वाली भारत की सबसे बड़ी कंपनी पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड भी विदेशों में कारोबार बढ़ा रही है।


कंपनी ऑस्ट्रेलिया में कुछ गैस परियोजनाओं में बड़ी हिस्सेदारी खरीदने की इच्छुक है और उसकी बात भी चल रही है।पेट्रोनेट के प्रबंध निदेशक प्रसाद दासगुप्ता ने इस योजना की पुष्टि की।उन्होंने मुंबई में आज बताया कि कंपनी कोल बेड मीथेन की परियोजना में हिस्सेदारी खरीदने पर विचार कर रही है। हिस्सेदारी के आकार के बारे में अभी फैसला नहीं किया गया है। लेकिन यह हिस्सेदारी 5 से लेकर 50 प्रतिशत तक हो सकती है।


ऑस्ट्रेलिया में कुछ नई?परियोजनाओं के लिए अगले हफ्ते से बोली लगाई जा रही हैं। कंपनी इनमें भी हिस्सा लेगी।दासगुप्ता ने बताया, ‘अगले छह से आठ महीनों में किसी अच्छी परियोजना में निवेश करने की हमारी योजना है। उम्मीद है कि हम इसे जल्द ही अमली जामा पहना देंगे।’


उन्होंने बताया कि निवेश करने के लिए पेट्रोनेट ने कुछ शर्तें भी रखी हैं। इनमें सबसे अहम शर्र्त यह है कि जिस परियोजना में वह निवेश करेगी, उसकी गैस बेचने के लिए पेट्रोनेट को वरीयता सूची में सबसे ऊपर रखा जाएगा। कंपनी फिलहाल 700 खरब से 1,500 खरब घन फुट क्षमता वाली परियोजनाओं के बारे में ही विचार कर रही है।


यदि पेट्रोनेट की ऑस्ट्रेलियाई योजना पटरी पर आगे बढ़ जाती है, तो गैस की आपूर्र्ति में उसे कोई दिक्कत नहीं आएगी। कंपनी अभी उर्वरक संयंत्रों, विद्युत संयंत्रों और पेट्रोरसायन परियोजनाओं के लिए ईंधन की आपूर्ति करती है।देश में इस समय गैस से काम करने वाले बिजली संयंत्रों से पूरी क्षमता के साथ काम नहीं लिया जा रहा है।गैस की आपूर्ति ठीक हो जाने से ये संयंत्र बिजली की किल्लत दूर कर सकते हैं।

First Published - April 7, 2008 | 2:05 AM IST

संबंधित पोस्ट