अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी अनिल धीरूभाई अंबानी वेंचर्स प्राइवेट (एडीएवीपीएल) ने राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) मुंबई में याचिका दायर कर अदालत से अनुरोध किया है कि वह हिंदुजा के स्वामित्व वाली इंडसइंड इंटरनैशनल होल्डिंग्स (आईआईएचएल) को दिवालिया वित्तीय सेवा कंपनी रिलायंस कैपिटल की समाधान योजना लागू होते ही ‘रिलायंस’ ब्रांड नाम का इस्तेमाल बंद करने का निर्देश दे। एनसीएलटी मंगलवार को इस मामले की सुनवाई करेगा।
एनसीएलटी ने इस साल फरवरी में आईआईएचएल की समाधान योजना को मंजूरी देते हुए हिंदुजा कंपनी को समाधान योजना लागू करने के उद्देश्य से योजना की मंजूरी की तारीख के बादे से तीन साल की अवधि तक रिलायंस ब्रांड का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी।
आईआईएचएल ने हाल ही में रिलायंस कैपिटल का अधिग्रहण करने के लिए ऋणदाताओं को पूरे 9,641 करोड़ रुपये का भुगतान किया। कंपनी द्वारा 25,000 करोड़ रुपये का ऋण न चुकाए जाने के बाद दिसंबर 2021 में इसे ऋण समाधान के लिए भेज दिया गया था। आईआईएचएल ने रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण वाली नीलामी जीती थी और जून 2023 में ऋणदाताओं ने आईआईएचएल की बोली को मंजूरी दे दी थी।
अंबानी परिवार के समझौते के अनुसार ‘रिलायंस’ ब्रांड का स्वामित्व रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन अरबपति मुकेश अंबानी और उनके छोटे भाई अनिल अंबानी के पास समान रूप से है। दिलचस्प बात यह है कि मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली जियो फाइनैंशियल सर्विसेज भारत में बड़े स्तर पर वित्तीय सेवा कारोबार शुरू कर रही है। याचिका में कहा गया है कि ब्रांड ‘रिलायंस’ का इस्तेमाल करने की अनुमति अंबानी बंधुओं के अलावा किसी अन्य कंपनी या व्यक्ति को नहीं दी जा सकती है।
अपने आवेदन में एडीएवीपीएल ने कहा कि ब्रांड समझौता रिलायंस कैपिटल के पक्ष में ब्रांड में कोई रुचि पैदा नहीं करता है, बस केवल ब्रांड के उपयोग की अनुमति प्रदान करता है। इस स्थिति के मद्देनजर यह ब्रांड ऋणशोधन अक्षमता और दिवालिया संहिता की धारा 18 में प्रयुक्त परिभाषा के अर्थ में रिलायंस कैपिटल की ‘संपत्ति’ नहीं है और इसलिए एडीएवीपीएल ने समाधान योजना के कार्यान्वयन के तुरंत बाद आईआईएचएल द्वारा ब्रांड का इस्तेमाल बंद किए जाने का अनुरोध किया है।
एडीएवीपीएल ने अपने आवेदन में यह तर्क भी दिया है कि आईआईएचएल को तीन साल के लिए इस ब्रांड का इस्तेमाल करने की अनुमति दिए जाते समय कंपनी की बात नहीं सुनी गई थी, क्योंकि वह समाधान योजना में कोई पक्षकार नहीं थी।
एडीएवीपीएल ने कहा कि रिलायंस कैपिटल (आरकैप), जो फिलहाल दिवाला समाधान प्रक्रिया में है, ने अप्रैल 2014 में उसके साथ ब्रांड लाइसेंसिंग समझौता किया था। इस समझौते के तहत एडीएवीपीएल ने आरसीएपी को 10 साल की अवधि के लिए ब्रांड का इस्तेमाल करने के वास्ते नॉन-एक्सक्लूसिव, रॉयल्टी मुक्त लाइसेंस दिया था और इसकी अवधि भी समाप्त हो गई है।
याचिका में कहा गया है कि इस साल फरवरी में एनसीएलटी ने रिलायंस कैपिटल को तीन साल के लिए ‘रिलायंस’ ब्रांड के इस्तेमाल की अनुमति प्रदान की थी और इसलिए यह याचिका दायर की गई है।