एडटेक फर्म बैजूस के संस्थापक बैजू रवींद्रन के भाई ऋजु रवींद्रन ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) को कहा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को भुगतान की गई रकम ‘साफ-सुथरा धन’ थी और वह हेराफेरी से अर्जित धनराशि नहीं है।
कंपनी के अमेरिकी ऋणदाताओं ने आरोप लगाया था कि बैजूस ने 53.3 करोड़ डॉलर की हेरफेर कर बीसीसीआई को भुगतान किया है। साथ ही अदालत ने सभी पक्षों के हितों की सुरक्षा के लिए ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) का गठन भी 2 अगस्त तक टाल दिया है।
ऋजु रवींद्रन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली ने कहा कि चुकाई गई रकम साल 2015 से 2022 के बीच थिंक ऐंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड (टीएल पीएल) के शेयरों को बेचकर जुटाई गई थी। टीएलपीएल बैजूस की मूल कंपनी है।
हलफनामा पढ़ते हुए बाली ने कहा कि ऋजु ने मई 2015 से जनवरी 2022 के बीच अपने शेयरों की बिक्री और लाभांश से करीब 3,600 करोड़ रुपये कमाए थे। उन्होंने कहा, ‘उनमें से करीब 1,040 करोड़ रुपये आय कर के तौर पर चुकाए गए।’
‘शेष 2,600 करोड़ रुपये फिर से टीएलपीएल में लगाए गए ताकि कंपनी का परिचालन बरकरार रहे। साथ ही दुनिया भर में 15 करोड़ छात्रों वाली कंपनी के 700 कर्मचारियों का वेतन दिया गया। ऋजु ने बीसीसीआई को 30 जून को 50 करोड़ रुपये की पहली किस्त दी।’