सॉफ्टबैंक समर्थित हॉस्पिटैलिटी कंपनी ओयो अपनी सूचीबद्धता के जरिये बेचे जाने वाले शेयरों की संख्या में कमी लाने की योजना बना रही है। पूंजीगत जरूरत में कमी और तकनीकी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए कंपनी ने यह निर्णय लिया है।
कंपनी से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, ‘ओयो ने शुरू में अपनी फंडिंग जरूरत के आधार पर अपने आईपीओ के लिए आवेदन किया था। लेकिन अब कंपनी को उतनी मात्रा में अपनी इक्विटी घटाने की जरूरत नहीं है।’
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने अपने आईपीओ का आकार घटाकर मूल राशि का एक-तिहाई करने की योजना बनाई है।
सूत्रों के अनुसार, ओयो के मौजूदा निवेशकों के शेयर कंपनी के आईपीओ के जरिये पेश नहीं किए जाएंगे। सॉफ्टबैंक के अलावा, इस हॉस्पिटैलिटी कंपनी को एयरबीएनबी का भी समर्थन हासिल है।
इस बीच, रितेश अग्रवाल ने सोमवार को कर्मचारियों को बताया था कि वित्त वर्ष 2023 के लिए ओयो का राजस्व 5,700 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो पूर्ववर्ती वित्त वर्ष के 4,780 करोड़ रुपये के मुकाबले 19 प्रतिशत की वृद्धि है। कंपनी को वित्त वर्ष 2024 में करीब 800 करोड़ रुपये का समायोजित एबिटा हासिल होने का अनुमान है।
सूत्रों के अनुसार, अग्रवाल ने बैठक के दौरान दौरान यह दावा किया, ‘कंपनी मजबूत नकदी की स्थिति बरकरार रखने और लागत प्रभावी तरीके से परिचालन बरकरार रखने के लिए उपायों पर जोर दे रही है। हमारे पास 2,700 करोड़ रुपये का नकदी बैलेंस है और हमारा मानना है कि मौजूदा परिचालन के लिए हम इसमें से काफी कम खर्च करेंगे।’ उन्होंने कहा कि कंपनी ने भारत, इंडोनेशिया और अमेरिका में लगातार वृद्धि दर्ज की है।
आईपीओ लाने के लिए ओयो की यह दूसरी कोशिश है। गुरुग्राम की कंपनी ने सितंबर 2021 में भी 8,430 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने के लिए दस्तावेज सौंपे थे। लेकिन कंपनी ने बाजार में मंदी की वजह से तब अपनी सूचीबद्धता की योजना को टाल दिया था।
एक साल से अधिक समय के बाद फिर से दस्तावेज सौंपने के बाद कंपनी से सेबी द्वारा अपना डीआरएचपी पुन: पेश करने को कहा गया।
सेबी ने इस साल जनवरी में कंपनी से संशेधनों के साथ अपना सूचीबद्धता आवेदन पुन: सौंपने को कहा था। इन संशोधनों में जोखिम कारक, बकाया आईपीओ के लिए आधार जैसी जानकारियां मुख्य रूप से शामिल हैं। ओयो द्वारा अपना डीआरएचपी पुन: सौंपना बाकी है।
इस बारे में ओयो से पूछे गए सवालों का जवाब नहीं मिला है। ओयो का आईपीओ ऐसे समय में आ रहा है जब स्टार्टअप कंपनियों के मूल्यांकन की फिर से गणना की जा रही है। कई मीडिया खबरों में कहा गया कि पिछले साल जून तिमाही के बाद सॉफ्टबैंक द्वारा कंपनी की अनुमानित वैल्यू 2.7 अरब डॉलर किए जाने के बाद ओयो का मूल्यांकन कमजोर पड़ गया। वर्ष 2019 में फंडिंग राउंड के बाद कंपनी का मूल्यांकन एक समय 10 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
अभी भी, हॉस्पिटैलिटी कंपनी अपने एबिटा मार्जिन और राजस्व में सुधार दर्ज कर रही है। कंपनी ने हाल में कहा था कि उसने 2023 में भारत में अपने प्रीमियम होटलों की संख्या दोगुनी करने की योजना बनाई है।