भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) भारत की एकमात्र अक्षय ऊर्जा केंद्रित सरकारी स्वामित्व वाली एनबीएफसी है। तीन दशक के अस्तित्व और दो बार आईपीओ की नाकाम कोशिश के बाद इरेडा ने पिछले हफ्ते दलाल पथ पर शानदार आगाज किया। अक्षय ऊर्जा क्षेत्र का हालांकि खासा विकास हुआ है, लेकिन इरेडा की लोनबुक पिछले दशक के दौरान सीमित बनी रही। कंपनी अब नए व उभरते हरित क्षेत्रों में अपनी गुंजाइश के विस्तार, देनदारों का आधार बढ़ाने, बड़ी परियोजनाओं की खातिर नवोन्मेषी वित्तीय सुविधाएं देने और जल्द नवरत्न कंपनी बनने की कोशिश में जुटी हुई है। इरेडा के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक ने श्रेया जय को दिए साक्षात्कार में आईपीओ के बाद कंपनी की वृद्धि योजना पर विस्तार से बातचीत की। मुख्य अंश…
आईपीओ के लिए तीसरी कोशिश इरेडा के लिए सौभाग्यशाली साबित हुई। इस बार क्या अलग था?
इस बार हमारी योजना को लेकर टीम को पूरा भरोसा था। यह सिर्फ इरेडा का आईपीओ नहीं है। यह एमएनआरई व अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की कामयाबी है। पिछले 3-4 वर्षो के दौरान हमने अच्छी गुणवत्ता वाले कॉरपोरेट गवर्नेंस व अक्षय ऊर्जा के विकास को लेकर अच्छी क्षमता बनाने की कोशिश की। एलआईसी के आईपीओ के बाद सूचीबद्धता के लिए जाने वाला यह पहला पीएसयू है। हमारी कामयाबी पीएसयू के आईपीओ या एफपीओ आदि को लेकर अवधारणा पर मुहर लगाता है, जो आईपीओ लाने जा रही हैं। हम आरई व इरेडा को लेकर मिथ्या नाम हटाना चाहते हैं। हम पिछले 36 साल से शांतिपूर्वक काम कर रहे हैं, लेकिन अपने लेनदारों या उधार लेने वालों के अलावा हमें कोई नहीं जानता। कामयाब सूचीबद्धता के साथ हमें काफी बेहतर ब्रांड नाम मिलेगा और यह देश में आरई के विकास के साथ सही न्याय होगा।
पिछले पांच वर्षों में आपकी लोनबुक में कितनी वृद्धि हुई और अब आपके पोर्टफोलियो का हिस्सा कौन-कौन से क्षेत्र हैं?
पिछले तीन दशक से इरेडा हर तरह की अक्षय ऊर्जा मसलन सौर, पवन, पनबिजली और यहां तक कि नई तकनीक जैसे बायोफ्यूल, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को समर्थन दे रही है। मार्च 2020 में हमारी लोनबुक का आकार 23,000 करोड़ रुपये का था। पिछले तीन साल में हमने अपनी लोनबुक में 24,000 करोड़ रुपये और जोड़े हैं। सितंबर 2023 तक हमारी लोनबुक 47,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की थी। आरई को वित्त मुहैया कराने के मामले में हम मदर ऑर्गनाइजेशन की तरह हैं और हमारा लक्ष्य भी देश की तरफ से तय लक्ष्य के समान है। वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट लक्ष्य के लिए कम से कम 30 लाख करोड़ रुपये निवेश की जरूरत होगी। सरकारी एनबीएफसी- पीएफसी, आरईसी और इरेडा द्वारा आरई विकास में बड़ा योगदान दिया जाएगा।
पीएफसी, आरईसी और बड़े बैंकों को नैसर्गिक तौर पर फायदा मिलता है। आप इनसे प्रतिस्पर्धा के लिए किस तरह की योजना बना रहे हैं,
खास तौर से तब जबकि आपकी उधारी की सीमा उनसे कम है?
सभी मल्टीलेटरल एजेंसियों ने अपने शुरुआती चरणों में आरई को सहारा दिया है। 1990 के दशक से इरेडा के पास ऐसी कई एजेंसियों समग लाइन ऑफ क्रेडिट रहा है और उनके साथ हमारे संबंध समय से साथ प्रगाढ़ हुए हैं। पिछले तीन वर्षों में हमने विदेशी मुद्रा की खरीदारी नहीं की है। हम देसी बाजार से रकम जुटा सकते हैं। सितंबर में अपग्रेड कर हमें पहली अनुसूची की कंपनी बना दिया गया और हाल में मंत्रालय ने हमें नवरत्न बनाने पर जोर देना शुरू किया है। हमने खुद के लिए अच्छी गुणवत्ता वाला कॉरपोरेट गवर्नेंस का जो बेंचमार्क बनाया है, उसका हमें फायदा मिलेगा। इस सेगमेंट में एकमात्र हमारी कंपनी ही तिमाही ऑडिट करती है और हम 25-30 दिन में ऐसा कर लेते हैं। हमने 90 दिन में एजीएम पूरा किया। इस सेगमेंट की अन्य एजेंसियों पर हमें बढ़त मिली हुई ह। हमें प्रतिस्पर्धी दरों पर फंड़ों का सबसे अच्छा स्रोत मिलने जा रहा है।